नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (anil deshmukh) को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर क्लीन चिट देने वाली रिपोर्ट लीक होने में उनकी भूमिका (Anil Deshmukh role in preliminary enquiry leak case) की जांच करने का CBI को निर्देश दिया है.
विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने कहा कि मामले में सीबीआई के आरोप-पत्र में भले ही उनको आरोपी नहीं बनाया गया हो लेकिन वह बड़े षड्यंत्र के नियंत्रक हो सकते हैं क्योंकि प्रारंभिक जांच की सामग्री लीक होने से सबसे ज्यादा लाभ उन्हें ही होता.
अदालत बुधवार को सीबीआई के उपनिरीक्षक अभिषेक तिवारी, देशमुख के वकील आनंद डागा और सोशल मीडिया प्रबंधक वैभव गजेंद्र तुमाने के खिलाफ दाखिल उस आरोप-पत्र का संज्ञान ले रही थी जिसमें उन पर बंबई उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व मंत्री के खिलाफ निर्देशित प्रारंभिक जांच को कथित तौर पर पलटने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है.
न्यायाधीश ने कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी व्यक्ति यानी डागा और तुमाने अनिल देशमुख के साथ घनिष्ठता से जुड़े हुए थे और हो सकता है कि वे उनके साथ मिलकर काम कर रहे हों, जो कि बड़ी साजिश को नियंत्रित करने वाला दिमाग हो सकता है, जबकि आरोपी व्यक्ति केवल जरिया हो सकते हैं, क्योंकि अनिल देशमुख उक्त प्रारंभिक जांच और मामले की सामग्री के लीक होने के मुख्य लाभार्थी थे”