दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

जज के पूर्व सहयोगी को अदालत ने सुनाई 5 साल की सजा, जानें क्या है कारण - जज का सहायक रंगदारी का आरोपी

दिल्ली की अदालत ने जज के पूर्व कर्मचारी ( judges ex-staff) को रंगदारी व बच्चों को जान से मारने की धमकी देने के मामले में पांच साल कैद की सजा (Five years imprisonment) सुनाई है. यह मामला 2007 का है.

file photo
फाइल फोटो

By

Published : Jan 8, 2022, 8:32 PM IST

नई दिल्ली :दिल्ली की अदालत ने जज के पूर्व कर्मचारी ( judges ex-staff) को पांच साल कैद की सजा (Five years imprisonment) सुनाई है. दिल्ली की अदालत ने शिव शंकर प्रसाद सिन्हा को जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि इस घटना ने न्याय की धारा को प्रभावित किया और न्यायाधीशों व सहायक कर्मियों के बीच विश्वास की कमी पैदा की है.

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा (Chief Metropolitan Magistrate Pankaj Sharma) ने कहा कि घटना से पहले दोषी शिव शंकर प्रसाद सिन्हा ने शिकायतकर्ता किरण बसल की अदालत में सहायक अहमद के रूप में काम किया था. जब वह एक दीवानी न्यायाधीश थीं.

अदालत ने कहा कि जाहिर है उस दौरान उसे उसके परिवार के सदस्यों और उसकी कमजोरियों के बारे में पता चला. सिन्हा ने शिकायतकर्ता से चार लाख रुपये की मांग की थी जो तब तीस हजारी जिला न्यायालय परिसर में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे. पैसे नहीं देने पर उसके बच्चों को मारने की धमकी दी गई थी.

एक टेक्स्ट मैसेज में दोषी ने बसल के पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी. घटना के बाद आरोपी को सेवा से हटा दिया गया. अदालत ने कहा कि कार्यस्थल पर ट्रस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और आम तौर पर सह-कर्मचारी या एक अधिकारी अपने सहयोगी कर्मचारियों पर भरोसा करता है.

अदालत ने कहा कि दोषी ने अपने मालिक की भेद्यता के बारे में जागरूक होकर उस भरोसे का दुरुपयोग किया और अपने बच्चों की मौत के डर से उसे फंसाकर उससे पैसे निकालने की एक भयावह योजना बनाई. दोषी ने न केवल अपने मालिक यानी शिकायतकर्ता के भरोसे को तोड़ा है बल्कि उसने उस भरोसे को भी तोड़ दिया है जो एक अधिकारी अपने सहयोगी स्टाफ के साथ रखता है.

यह भी पढ़ें- Gurugrma Namaz Row: हिंदू सेना ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख, यह है मांग

जज के मन में डर पैदा करने से उसकी ठीक से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. यह न्याय व्यवस्था को सीधे तौर पर प्रभावित करता है जो कि अक्षम्य कृत्य है. अदालत ने यह कहते हुए उदार सजा देने से इनकार कर दिया कि इससे व्यवस्था को और नुकसान होगा. साथ ही भविष्य में ऐसे बेईमान लोगों को इस तरह का अपराध करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details