नई दिल्ली :कैबिनेट मीटिंग में आज दिल्ली सरकार ने दिल्ली के अपने शिक्षा बोर्ड को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट मीटिंग के बाद डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज कैबिनेट मीटिंग में दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन के गठन को मंजूरी दे दी गई है. विभिन्न राज्यों के बोर्ड का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि ऐसा नहीं है कि दिल्ली में हमारी सरकार है, तो हम अलग बोर्ड बनाएंगे.
'शिक्षा पर बजट लेजे 25 फीसदी खर्च'
मुख्यमंत्री ने कहा, पूरा देश देख रहा है कि बीते 6 साल में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं. हमने हर साल बजट का 25 फीसदी पैसा शिक्षा पर खर्च करना शुरू किया. अच्छी बिल्डिंग, लैब, ऑडिटोरियम, अच्छे डेस्क बने. प्राइवेट स्कूलों में पहले अच्छी व्यवस्था होती थी, लेकिन सरकारी स्कूलों का भी कायापलट होने लगा. हमने अपने टीचर्स और प्रिंसिपल्स और को बड़े स्तर पर ट्रेनिंग के लिए कैम्ब्रिज, सिंगापुर, फिनलैंड, कनाडा, अमेरिका भेजा.
'खत्म किया डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन का हस्तक्षेप'
सीएम ने कहा कि केमेस्ट्री, मैथ आदि के ओलंपियाड के लिए हमने बच्चों को भी विदेश भेजना शुरू किया. उनमें अलग तरह का बदलाव आया. प्रिंसिपल्स को पावर देने का जिक्र करते हुए सीएम केजरीवाल ने कहा कि अब तक हर स्कूल में दिल्ली सरकार के डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन का बड़ा हस्तक्षेप होता था, हमने प्रिंसिपल्स की पावर बढ़ा दी, 5 हजार से बढ़ाकर उनका फंड 50 हजार कर दिया.
'प्रिंसिपल्स को दी पावर, लाए हैप्पीनेस करिकुलम'
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी स्कूल में किसी शिक्षक की नियुक्ति में देरी पर हमने प्रिंसिपल्स को पावर दी कि वे एक सेशन के लिए अपनी तरफ से टीचर की नियुक्ति का कर सकते हैं. स्कूलों में स्टेट ऑफिसर नियुक्त किए, हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप करिकुलम लेकर आए. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन सबका नतीजा यह रहा कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे 98 फीसदी आ रहे हैं.
'तीन उद्देश्यों की पूर्ति पर जोर'
सीएम ने कहा, आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों बच्चों के इंजीनियरिंग, मेडिकल में एडमिशन हो रहे हैं. अभिभावक भी समझ रहे हैं कि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब अगला स्टेप लेने का समय आया है. अब तय करने का समय आया है कि स्कूलों में क्या और कैसे पढ़ाया जाए. शिक्षा के तीन उद्देश्यों का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि यह दिल्ली बोर्ड ऑफ एजुकेशन, इन तीनों उद्देश्यों की पूर्ति करता है.
'ताकि बच्चे बनें कट्टर देशभक्त और अच्छे इंसान'
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का हमारा पहला लक्ष्य है, ऐसे बच्चे तैयार करना, जो कट्टर देशभक्त हों, जो देश के प्रति मर मिटने का जज्बा रखते हों. वो चाहे किसी भी क्षेत्र में हों, व्यापार, सामाजिक, राजनीतिक, हर क्षेत्र में देश की जिम्मेदारी उठा सकें. दूसरा लक्ष्य है कि बच्चे अच्छे इंसान बनें, अमीर हों या गरीब एक दूसरे को इंसान समझें और परिवार के पालन पोषण के साथ-साथ समाज और देश का अन्य लोगों के प्रति भी निस्वार्थ भाव रख सकें.