नई दिल्ली :राजधानी में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसको देखते हुए देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में दी जाने वाली सेवाओं को लेकर डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने मीटिंग की. इस मीटिंग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इसमें सबसे अहम निर्णय एकेडमिक एक्टविटीज को लेकर किया गया है. इसके तहत एम्स में सभी शैक्षणिक गतिविधि ऑनलाइन होंगी. वहीं अंडर ग्रेजुएट छात्रों को घर भेजने का निर्णय किया गया है.
बिना एंटीजेन टेस्ट रिपोर्ट के मरीजों का इलाज नहीं
अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसिन डायग्नोस्टिक टीम के विभागाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है कि इमरजेंसी में आने वाले सभी मरीजों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के बाद ही उनका इलाज शुरू किया जाए. यह नियम सभी विभागों में अनिवार्य कर दिया गया है. बिना टेस्ट किए मरीज को अस्पताल परिसर में डॉक्टर्स के पास नहीं आने दिया जाएगा.
हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी शुरू
पहले की तरह हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी को शुरू कर दिया गया है. साथ ही अस्पताल के विभिन्न वार्ड में नॉन कोविड बेड्स पर भर्ती मरीजों को वापस घर भेजा जा रहा है और उनके बेड खाली कराए जा रहे हैं. इन बेड्स पर अब कोरोना के संदिग्ध और संक्रमित मरीजों को एडमिट किया जाएगा जैसा कि पहले किया जा रहा था. इस काम के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट और प्रोफेसर सिद्धार्थ सतपति को इंचार्ज बनाया गया है.