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देहरादून रिस्पना STP पर लगा प्रश्न चिह्न, करोड़ों खर्च के बाद भी साफ नहीं हुई नदी, ट्रीट वाटर का भी नहीं हो रहा इस्तेमाल - Dehradun Rispana Sewerage Treatment Plant

Dehradun Rispana STP देहरादून की रिस्पना नदी पर बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. इसके बाद भी इस सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये साफ किये पानी का कोई भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. रिस्पना सीवरेज प्लांट में शहर के गंदे पानी को बड़ी बड़ी मशीनें लगाकर साफ किया जाता है, इसके बाद फिर से इस साफ पानी को रिस्पना नदी के गंदे पानी में ही छोड़ दिया जाता है, जो अपने आप में हास्यास्पद है.

Dehradun Rispana STP
देहरादून रिस्पना STP पर लगा प्रश्न चिह्न

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 17, 2023, 4:32 PM IST

Updated : Sep 17, 2023, 6:03 PM IST

देहरादून रिस्पना STP पर लगा प्रश्न चिह्न

देहरादून: नमामि गंगे प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए तमाम छोटी नदियों को भी स्वच्छ बनाने की कोशिशें चल रही हैं. केंद्र सरकार के ये प्रयास धरातल पर कितने कारगर हैं इसका अंदाजा ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. दरअसल, ईटीवी भारत ने रिस्पना नदी में बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन स्थितियों को करीब से देखा जो नमामि गंगे परियोजना के उद्देश्यों को पलीता लगा रही हैं. नदियों पर बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और इसमें गिर रहे गंदे पानी को लेकर क्या है जमीनी हकीकत? आइये आपको बताते हैं...

देहरादून रिस्पना STP

नमामि गंगे प्रोजेक्ट गंगा स्वच्छता से जुड़ा है. इस प्रोजेक्ट को पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहले शुरू किया. ये उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में एक है. पीएम मोदी ने कई मंचों से इसे लेकर अपनी प्रतिबद्धता भी जाहिर की. वैसे तो गंगा देश की सबसे लंबी नदी होने के कारण करीब 40 प्रतिशत आबादी के लिए खास महत्व रखती है. आर्थिक, सामाजिक महत्व के साथ इसका धार्मिक महत्व इसे बाकी नदियों से अलग करता है. हिन्दू धर्म में मां के रूप में संबोधित गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाना पीएम मोदी का भी सपना रहा है. शायद इसलिए करीब 20,000 करोड़ जैसे भारी भरकम बजट को इस कार्यक्रम में लिए समर्पित किया गया. इसी के तहत उत्तराखंड की नदियों में स्वच्छता के लिए भी करीब 63.75 करोड रुपए का प्रावधान किया गया. रिस्पना नदी को लेकर तो पिछली भाजपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाकायदा एक मुहिम भी शुरू की. यही नहीं मन की बात कार्यक्रम में तो देहरादून की एक छात्रा ने रिस्पना की गंदगी का मुद्दा उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शाबाशी भी पाई, मगर केंद्र और राज्य सरकार की नदियों की स्वच्छता को लेकर प्रतिबद्धता का क्या हश्र हुआ यह ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में साफ हुआ.

रिस्पना एसटीपी प्लांट

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रिस्पना नदी देहरादून के शहरी क्षेत्र में करीब 16 किलोमीटर तक बहती है. यानी देहरादून शहर का भी एक बड़ा क्षेत्र इससे प्रभावित है. नमामि गंगे परियोजना के तहत इस नदी में गिरने वाले करीब 177 बड़े नाले बंद कर दिए गए, इतना ही नहीं करीब 2901 घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी नदी में गिरने से रोका गया. उधर दूसरी तरफ रिस्पना नदी के ही किनारे मोथरावाला क्षेत्र में 20-20 MLD (मिलियन लीटर डे) के दो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए. जानकारी के अनुसार शहर भर से सीवेरेज के जरिए करीब 18 एमएलडी क्षमता का सीवर इस STP में पहुंच रहा है. इसकी क्षमता कुल 40 MLD है. इसके बावजूद नदी में गंदा पानी छोड़ा जा रहा है.

रिस्पना नदी

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समस्या केवल इतनी ही नहीं है बल्कि चिंता इस बात की भी है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में शहर भर के सीवर का जो गंदा पानी साफ भी हो रहा है उसका कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है. जबकि इस पानी के साफ होने के बाद इसे सिंचाई, कंस्ट्रक्शन के कार्यों, गार्डनिंग और वनीकरण के दौरान प्रयोग किया जा सकता है. मगर शहर के गंदे पानी को करोड़ों के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में साफ करने के बाद फिर रिस्पना नदी के गंदे पानी में ही छोड़ दिया जाता है.सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं. इन मशीनों से गंदे पानी को साफ किया जाता है. उसके बाद इस पानी को आगे की तरफ भेज दिया जाता है. सरकारी सिस्टम यदि इसे लेकर और अधिक जागरूक होता तो इस पानी को किसी तरह से कंस्ट्रक्शन के कार्य या सिंचाई के लिए भेजने की कोशिश की जा सकती थी.

रिस्पना एसटीपी प्लांट से नदी में छोड़ा जा रहा पानी

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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रभारी इंचार्ज बताते हैं कि पानी को साफ करने के लिए लगाई गई मशीन अपना काम बेहतर तरीके से कर रही है. सीवरेज का गंदा पानी साफ भी किया जा रहा है. प्रभारी इंचार्ज कहते हैं इसका प्रयोग साफ पानी के रूप में विभिन्न कार्यों के लिए किया जा सकता था लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो पा रहा है. वे कहते हैं इस पानी को साफ करने के बाद यदि एक बड़ा RO प्लांट लगाया जाता तो इस पानी को पीने योग्य भी बनाया जा सकता है. पहले से ही कई राज्य ऐसे पानी को पीने योग्य बनाने बना कर इसका सदुपयोग कर रहे हैं.

रिस्पना एसटीपी प्लांट ने निकलने वाला साफ पानी

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देहरादून में रिस्पना और बिंदाल दो महत्वपूर्ण नदियां हैं. ये नदियां ना केवल नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शामिल हैं बल्कि इसके पानी से बनने वाली सुसवा नदी भी आगे जाकर गंगा में मिलती है. रिस्पना के अलावा बिंदाल नदी पर भी 68 MLD का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है, जहां भी साफ पानी का कोई खास उपयोग नहीं हो पा रहा.

Last Updated : Sep 17, 2023, 6:03 PM IST

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