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बिना सबूत पति को 'व्याभिचारी और शराबी' कहना क्रूरता : HC

बिना सबूत पति को व्याभिचारी और शराबी कहना क्रूरता के समान है. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक मामले में ये टिप्पणी की है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Oct 25, 2022, 2:56 PM IST

Updated : Oct 25, 2022, 4:58 PM IST

Bombay High Court
बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक मामले में कहा कि पति की मानहानि, उसे बिना सबूत व्याभिचारी और शराबी कहना क्रूरता के समान है. इसके साथ ही अदालत ने पुणे के दंपति के विवाह विच्छेद के परिवार अदालत के आदेश को बरकरार रखा.

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति शर्मिला देशमुख की खंडपीड ने यह आदेश 50 वर्षीय महिला की अपील को खारिज करते हुए 12 अक्टूबर को सुनाया. महिला याचिकाकर्ता ने पुणे की परिवार अदालत द्वारा नवंबर 2005 में दिए गए फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसके और उसके पति के विवाह संबंध के विच्छेद की अनुमति दी गई थी. महिला का पति सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी था जिसकी उच्च न्यायालय में सुनवाई लंबित रहने के दौरान मौत हो गई थी. इसके बाद अदालत ने उसके कानूनी उत्तराधिकारी को मामले में प्रतिवादी के तौर पर शामिल करने का निर्देश दिया.

महिला ने अपनी अपील में दावा किया था कि उसका पति व्याभिचारी और शराबी है जिसकी वजह से वह अपने वैवाहिक अधिकारों से वंचित थी. पीठ ने इस पर कहा कि पत्नी ने पति के चरित्र के खिलाफ अवांछित और झूठा आरोप लगाया जिससे समाज में उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा और यह क्रूरता के समान है.

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में रेखांकित किया कि महिला ने अपने बयान के अलावा आरोपों के पक्ष में विश्वसनीय सबूत पेश नहीं किया. मृतक के वकील ने अदालत में कहा कि याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति पर झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाकर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. उच्च न्यायालय ने परिवार अदालत के समक्ष पति द्वारा दिए गए बयान का उल्लेख किया जिसमें उसने दावा किया था कि पत्नी ने उसे उसके बच्चों और पोते-पोतियों से अलग कर दिया है.

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(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 25, 2022, 4:58 PM IST

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