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'अग्निपथ' विरोध की गहराई में है कृषि संकट

कम से कम 70% भारतीय सैनिक ग्रामीण व किसान पृष्ठभूमि से हैं. 'अग्निपथ' योजना का व्यापक विरोध कृषि क्षेत्र में व्याप्त संकट का प्रतिबिंब है. इसके व्यापक विरोध के बाद ईटीवी भारत के संवाददाता संजीव बरुआ ने इसकी तह तक जाने की कोशिश की. इसी सिलसिले में कृषि व खाद्य मामलों के जानकारों के साथ चर्चा के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि विरोध का मुख्य कारण कृषि सेक्टर पर मंडराता संकट है. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें रिपोर्ट

अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना
अग्निपथ सैन्य भर्ती योजना

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Published : Jun 22, 2022, 12:41 PM IST

नई दिल्ली :कहा जाता है कि भारतीय सैनिक वर्दी में एक किसान है क्योंकि अधिकांश सैनिक किसान परिवार से आते हैं या जुडे़ हैं. देश के कई राज्यों में किसान पृष्ठभूमि वाले युवाओं ने व्यापक और हिंसक विरोध किया जो इस बात को बल देता है कि कृषि क्षेत्र पर मंडराता संकट इसके विरोध की प्रमुख वजह है. सोमवार (20 जून) को भारतीय किसानों के एक छात्र संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं में - थल सेना, नौसेना और वायु सेना में गैर अधिकारी वर्ग के लिए 'अग्निपथ' सैन्य भर्ती योजना के विरोध में 24 जून को देशव्यापी 'बंद' का ऐलान किया है. कृषि और खाद्य नीति के प्रमुख विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा. “कृषि श्रमिकों का सीधा संबंध है जो संकट में हैं जो सड़कों व गलियों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह ग्रामीण क्षेत्रों में गहराते कृषि संकट के कारण असमंजस की स्थिति में फंसे युवाओं के गुस्से का प्रतिबिंब है. शर्मा का कहना है कि 2016 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत के 17 राज्यों में एक किसान परिवार की औसत आय सिर्फ 20,000 रुपये प्रति वर्ष थी.

शर्मा कहते हैं कि यह देश का लगभग आधा हिस्सा है. अगर किसान एक महीने में 1,700 रुपये से कम कमा रहा है तो उसके वंशज खेती क्यों करेंगे? आप उनसे क्या करने की उम्मीद करते हैं? जाहिर है कि युवा अच्छे भविष्य की तलाश करेंगे. हमने कई वर्षों से किसानों को उचित आय दिलाने में असफल रहे हैं और यही विरोध का मुख्य कारण है. लगता है सरकार ने जानबूझकर कृषि सेक्टर पर कम फोकस किया है. क्योंकि भारत में आर्थिक सुधार आवश्यक हो गए हैं. उद्योग को वित्तपोषित करने के लिए आपको कृषि का त्याग करना होगा. 14 जून को घोषित, 'अग्निपथ' योजना 4 साल की अवधि के लिए 17.5 से 21 वर्ष (ऊपरी आयु सीमा के एक बार के विस्तार के साथ 23 वर्ष) के बीच के युवाओं को भर्ती का अवसर प्रदान करती है, चार साल की अवधि के बाद एक-चौथाई या योग्यता, उनकी मंशा और संगठनात्मक आवश्यकता के आधार पर 'अग्निवीर' के 25% को अगले 15 वर्षों के लिए पुन: नियोजित किया जाएगा. शेष तीन-चौथाई या 75% को 'सेवा निधि' नामक आकर्षक सेवानिवृत्ति पैकेज के साथ रिटायर कर दिया जाएगा.

'अग्निपथ' का उद्देश्य 17.5 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं की फिटनेस और गतिशीलता का दोहन करना है साथ ही भारतीय सैनिक की औसत आयु प्रोफ़ाइल को 32 से 26 वर्ष अर्थात 6 वर्ष कम करना है. मंगलवार (21 जून) को सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने 'अग्निपथ' योजना को "सुरक्षा-केंद्रित, युवा-केंद्रित और सैनिक-केंद्रित" बताया. जबकि सेना ने रविवार (19 जून) को असमाजिक तत्वों और कोचिंग सेंटर को विरोध के लिए दोषी ठहराया. जबकि जानकार इसे भारतीय कृषि क्षेत्र में तीव्र संकट के साथ जुडा बता रहे हैं. हिंसक विरोध के कारण सार्वजनिक संपत्ति का व्यापक विनाश और दिन-प्रतिदिन के जीवन में भारी व्यवधान पैदा हुआ है. खास कर बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना के शहरों और ग्रामीण इलाकों में देखने को मिला जहां कृषि क्षेत्र गंभीर संकट में है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले एक विश्लेषक कुमार संजय सिंह कहते हैं: "विरोध स्पष्ट रूप से कृषि संकट की वजह से फैला है. साथ ही नौकरी के अवसरों की तीव्र कमी के बीच अधिशेष आबादी व्याकुल हो रही है. विरोध के क्षेत्र बड़े पैमाने पर अधिशेष कृषि आबादी वाले क्षेत्र हैं. यहां सैन्य कैरियर आंशिक रूप से प्रतिष्ठा से जुडा है और सैनिकों को मिलने वाले आर्थिक लाभों के कारण सैन्य रोजगार को काफी गंभीरता से लिया जाता है. इसके अलावा कृषि कीमतों ने औद्योगिक कीमतों के साथ तालमेल नहीं रखा है. कृषि में उत्पादन की लागत में भी वृद्धि हुई है क्योंकि 'हरित क्रांति' आधारित दृष्टिकोण के साथ उर्वरकों, कीटनाशकों और उच्च उपज वाले बीज के किस्मों की लागत बढ़ी है. अपने 77वें दौर के सर्वेक्षण के बाद सितंबर 2021 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में एक किसान परिवार की प्रति व्यक्ति मासिक आय 10,218 रुपये है.

जबकि बिहार में एक किसान की औसत मासिक आय देश की सबसे कम 3,558 रुपये प्रति किसान प्रति माह थी, पश्चिम बंगाल में 3,980 रुपये, उत्तराखंड में 4,701 रुपये, झारखंड में 4,721 रुपये, उत्तर प्रदेश में 4,923 रुपये और ओडिशा में 4,976 रुपये था. वहीं दूसरी ओर हरियाणा में सबसे अधिक किसान की मासिक औसत आय 14,434 रुपये थी. सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि पचास प्रतिशत से अधिक कृषि परिवार कर्ज में थे और प्रत्येक कृषि परिवार पर औसतन 74,121 रुपये का ऋण था. 2011-12 के उपभोग व्यय सर्वेक्षण में, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़ों से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 20% से अधिक किसान परिवारों की आय गरीबी रेखा से कम है. गरीबी रेखा से नीचे आय वाले विशाल कृषि आबादी वाले राज्यों में झारखंड (45%), ओडिशा (32%), बिहार (28%), मध्य प्रदेश (27%) और उत्तर प्रदेश (23%) शामिल हैं.

गौर है कि ये वे राज्य हैं जहां 'अग्निपथ' योजना के खिलाफ सबसे ज्यादा विरोध देखा गया. ये ऐसे राज्य भी हैं जहां छोटी भूमि जोत ने कृषि समुदाय को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है. यही कारण है कि सबसे समृद्ध राज्यों में से दो पंजाब और हरियाणा ने सेना में सबसे अधिक सैनिक भेजने के बाद भी कम विरोध देखने को मिला. इसके अलावा, "चकबंदी" या प्रक्रिया. जिसमें आगे विखंडन को रोकने के लिए भूमि को समेकित किया जाता है, पंजाब और हरियाणा में काफी प्रभावी रहा है. 'अग्निपथ' विरोध के केंद्र क्षेत्र पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में कृषि जोत के बड़े पैमाने पर भूमि विखंडन के विपरीत है. जबकि हरियाणा की 4 % कृषि आबादी गरीबी रेखा से नीचे था वहीं पंजाब में यह केवल 0.5% था. इसके अलावा पंजाब के युवाओं में सेना में भर्ती होने का अब कोई क्रेज नहीं है क्योंकि वे अब कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में प्रवास करने के लिए लालायित रहते हैं. 2018-2020 से तीन वर्षों में, शीर्ष पांच राज्य जहां से तीन सेवाओं के गैर-अधिकारी पदों पर भर्ती हुई है, वे हैं उत्तर प्रदेश (32,901), हरियाणा (18,457), पंजाब (18,264), महाराष्ट्र (14,180) ) और बिहार (12,459).

यह भी पढे़ं-अग्निपथ योजना के नियम और शर्तें

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