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पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा कांग्रेस के लिये बन सकती है मुसीबत ? - Declaration of Chief Ministers face in Punjab

पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा (Announcement of Chief Ministers face in Punjab) पार्टी के लिये कहीं मुसीबत न बन जाए. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु और नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों की ही मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी जग जाहिर (The claim for the post of Chief Minister is open) है.

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पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा

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Published : Jan 28, 2022, 9:43 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस के प्रचार अभियान में पंजाब पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चेहरा कौन हो इसकी घोषणा प्रदेश कांग्रेस के कार्यकर्ता और तमाम विधायकों से चर्चा करने के बाद ही होगी. इस घोषणा ने सबको चौंका दिया. हालांकि, कुछ का मानना है कि यह लगभग तय है कि कांग्रेस भी पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे के साथ ही उतरेगी.

इसके साथ ही कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा पार्टी के लिये कहीं मुसीबत न बन जाए. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धु और नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों की ही मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी (The claim for the post of Chief Minister is open) जग जाहिर है. कैप्टन अमरिंदर के इस्तीफे के बाद चरणजीत चन्नी को जब कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था, तब कहा गया था कि वह पार्टी के दलित चेहरे हैं और उन्हें मुख्यमंत्री पद दे कर पार्टी पंजाब के 35% दलित वोट बैंक पर निशाना साध रही है.

राजनीतिक विश्लेषक इसे एक बड़े संदेश के रूप में भी देख रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि गुटबाजी और नेतृत्व विभाजन से त्रस्त पंजाब कांग्रेस यदि किसी एक चेहरे की घोषणा करती है तो दूसरे की नाराजगी के कारण चुनावों में इसका नुकसान झेलना पड़ेगा? पंजाब की राजनीति को करीब से देखने वाले पत्रकार भी इसे कांग्रेस के लिए एक दोधारी तलवार की तरह देखते हैं जिससे सत्तासीन पार्टी का नुकसान ही संभावित है.

बड़ी और स्थिर रणनीति का अभाव

ईटीवी भारत से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने कहा कि हर राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए अलग रणनीति यह दिखाती है कि कांग्रेस के पास बड़ी और स्थिर रणनीति नहीं है. जैसे प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा कर एक बेहतर संकेत दिया. लेकिन बाकी राज्यों में इसे लागू नहीं किया गया. उसी तरह पंजाब के लिये राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात कही लेकिन उत्तराखंड, गोवा या अन्य राज्य में ऐसा नहीं है.

बेहतर होता यदि कांग्रेस बुनियादी चीजों पर काम करती और 5 राज्यों के लिए एक समान रणनीति पर काम करती. गुरुवार के पूरे प्रकरण में यह भी गौरतलब है कि राहुल गांधी मंच से बड़ी घोषणा किस क्षमता में कर रहे हैं. वर्तमान में वह पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं. बेशक वह कांग्रेस वर्किंग ग्रुप के सदस्य हैं लेकिन वर्किंग ग्रुप में अन्य नेता भी होते हैं, वह कभी इतनी बड़ी घोषणा नहीं कर सकते. वायनाड के सांसद और पूर्व अध्यक्ष के द्वारा यह घोषणा की गई है जो नेतृत्व की अस्थिरता को दर्शाती है.

इससे पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी स्पष्ट स्टैंड न रखने का खामियाजा कांग्रेस भुगत चुकी है जिसमें मध्यप्रदेश में तो पार्टी को बनी हुई सरकार ही गंवानी पड़ी थी. अन्य विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी द्वारा मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में भगवंत मान के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस पर भी दबाव था और उसके तहत यह घोषणा की गई है. चरणजीत सिंह चन्नी को इसके लिये प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि दलित चेहरे का फायदा पार्टी को पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में भी मिलने की संभावना होगी.

हालांकि राशिद किदवई मानते हैं कि ऐसा करना बेशक कांग्रेस के लिये फायदेमंद साबित हो लेकिन उससे पहले ही पार्टी को यह भी स्पष्ट कर लेना चाहिये कि नवजोत सिद्धु को वह किस भूमिका में रखेंगे ताकि बाद में कोई विवाद पैदा न हो. दोनों ही परिस्थियों में असंतोष का माहौल पैदा होना तय है और इसके कारण पार्टी बैकफुट पर हो सकती है. हालांकि राहुल गांधी ने जिस मंच से घोषणा की उसी मंच से मुख्यमंत्री चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धु ने यह भी जताया कि नेतृत्व में कोई मतांतर नहीं है और दोनों ही नेताओं ने नेतृत्व के निर्णय का सम्मान करने की बात कही है.

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लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि कांग्रेस नेता ने एक बार फिर दबाव में अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है और पार्टी को एक असहज स्थिति में डाल दिया है. बहरहाल कांग्रेस पार्टी के अन्य नेता इस पूरे विषय पर खामोश हैं लेकिन आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि किस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं.पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा क्या बन सकती है कांग्रेस के लिये मुसीबत ?

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