नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि कर्नाटक सरकार का मुस्लिमों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण खत्म करने का फैसला नौ मई तक लागू नहीं होगा क्योंकि राज्य ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का पिछली सरकार का फैसला नौ मई तक जारी रहेगा. नौ जुलाई को राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली दलीलों पर बिना किसी पूर्वाग्रह के, इस मामले की आगे की सुनवाई की जाएगी. राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई शुरू होने पर कहा कि वह दिन में जवाब दाखिल करेंगे.
उन्होंने पीठ से कहा, "मैं इसे आज दाखिल करूंगा लेकिन समस्या यह है कि मैं (सॉलिसिटर जनरल) व्यक्तिगत समस्या का सामना कर रहा हूं. मुझे समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के सामने भी दलील रखनी है. कृपया इस मामले को किसी और दिन के लिए सूचीबद्ध करें." याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मेहता द्वारा स्थगन के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि सुनवाई पहले ही चार बार टाली जा चुकी है. मेहता ने कहा कि अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेश पहले से ही याचिकाकर्ताओं के पक्ष में है.
दवे ने अदालत से अनुरोध किया कि वह मेहता की दलीलों को दर्ज करें कि मुसलमानों के लिए आरक्षण खत्म करने के आदेश को लागू नहीं किया जाएगा. 30 मार्च 2002 को जारी किया गया आरक्षण देने का आदेश सुनवाई की अगली तारीख तक लागू रहेगा. पीठ ने दवे के साथ सहमति व्यक्त की और आगे की सुनवाई के वास्ते मामले को नौ मई के लिए सूचीबद्ध किया. उच्चतम न्यायालय ने 18 अप्रैल को कर्नाटक में मुसलमानों का चार प्रतिशत आरक्षण खत्म करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 25 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी. तब भी राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से वक्त मांगा था.