नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने रेलवे में यात्रा संबंधी सीटों की 'तत्काल योजना' के संबंध में दलालों की संभावित संलिप्तता की शिकायतों का उल्लेख करते हुए सरकार से इस योजना के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र बनाने एवं इसमें बेईमान तत्वों को शामिल होने से रोकने का प्रबंध करने की सिफारिश की.
'भारतीय रेल यात्री आरक्षण प्रणाली' विषय पर लोकसभा में पेश रेल संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सरकार से तत्काल टिकटों पर लिए जाने वाले शुल्क को यात्रा की दूरी के अनुसार तय करने का उपाय करने तथा फ्लेक्सी/डायनेमिक किराये के मूल्य निर्धारण पर विवेकपूर्ण ढंग से निर्णय करने को कहा.
इसमें कहा गया है कि रेल में उन यात्रियों को आरक्षण प्रदान करने के लिए तत्काल योजना शुरू की गई थी जिन्हें अल्प सूचना पर यात्रा करनी होती है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने इस योजना की सराहना करते हुए इसमें दलालों की संभावित संलिप्तता को लेकर आशंका प्रकट की जिनकी बेईमान गतिविधियों से वास्तविक यात्रियों को इस योजना का लाभ मिलने में कठिनाइयां हो सकती हैं.
समिति की राय है कि रेलवे को भौतिक और साइबर दोनों क्षेत्रों में इन तत्वों द्वारा उत्पन्न खतरों के प्रति हमेशा सतर्क रहना चाहिए. समिति ने मंत्रालय से इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए एक सुदृढ़ निगरानी तंत्र बनाने एवं इसमें बेईमान तत्वों को शामिल होने से रोकने का प्रबंध करने की सिफारिश की.
तत्काल टिकट 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर प्रीमियम शुल्क के भुगतान पर बुक किया जाता है. वर्तमान में इसे रेल यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) और भारतीय खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) वेबसाइट से एक दिन पहले एसी श्रेणी के लिए सुबह 10 बजे और गैर एसी श्रेणी के लिए 11 बजे बुक किया जाता है.