नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट दिल्ली हिंसा के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला टाल दिया है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने 21 मार्च को फैसला सुनाने का आदेश दिया. कोर्ट ने 3 मार्च को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से वकील त्रिदिप पायस जबकि दिल्ली पुलिस की ओर से स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर अमित प्रसाद ने दलीलें रखी थीं.
त्रिदिप पायस ने कहा था कि अभियोजन के पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उमर खालिद ने शरजील इमाम का परिचय योगेन्द्र यादव से कराया. त्रिदिप पायस ने कहा था कि चार्जशीट बिना किसी आधार के नहीं दाखिल की जा सकती है. इस मामले में जो पूरक चार्जशीट में आरोप बिना तथ्यों के लगाए गए हैं. उन्होंने कहा था कि चार्जशीट में कहा गया है कि उमर खालिद बैठक में मौजूद था. बैठक में मौजूद होने में अपराध क्या है. बैठक में शामिल कई दूसरे लोग आरोपी नहीं हैं. बैठक में बैठे दो ही लोग हिरासत में क्यों लिए गए हैं, बाकी क्यों नहीं लिए गए.
पायस ने कहा था कि चार्जशीट में कहा गया है उमर खालिद ने 10 दिसंबर 2019 को प्रदर्शन में हिस्सा लिया, लेकिन क्या प्रदर्शन में शामिल होना अपराध है. उन्होंने कहा था कि उमर खालिद के खिलाफ हिंसा करने के कोई सबूत नहीं हैं. जांच जारी रहना हर प्रश्न का उत्तर नहीं है. उन्होंने कहा था कि चुप्पी की साजिश का आरोप गलत है. अभियोजन के लिए ये काफी आसान है कि जब दो, तीन और दस लोग व्हाट्स ऐप पर एक ही भाषा बोलें तो आप कुछ के खिलाफ आरोप लगाएंगे और कुछ के खिलाफ नहीं क्योंकि वो आपकी दलील के मुताबिक है.