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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा आरक्षण का विवाद, अर्जेंट हियरिंग पर फैसला आज - urgent hearing in reservation dispute case

छत्तीसगढ़ में 58 प्रतिशत आरक्षण काे रिवर्ट करने का विवाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है. सामाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दाखिल की है. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने इस फाइल को अपने पास रख लिया है. बताया जा रहा है, इस पर तत्काल सुनवाई के संबंध में वे शुक्रवार सुबह आदेश पारित कर सकते हैं.urgent hearing in reservation dispute case

Reservation dispute reached Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा आरक्षण का विवाद

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Published : Sep 30, 2022, 7:37 AM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में आरक्षण का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को रिवर्ट करने का विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. समाजिक कार्यकर्ता बीके मनीष ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने फाइल अपने पास रख लिया है. उम्मीद की जा रही है कि इस पर 30 सितंबर की सुबह ही फैसला पारित की जा सकती है. क्योंकि याचिकाकर्ता ने राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा का हवाला दिया है. जिसके सफल अभ्यर्थियों की सूची 30 सितंबर को आने की संभावना है. reservation dispute case in Chhattisgarh

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इस मामले में दो अन्य याचिकाएं दाखिल:याचिकाकर्ता बीके मनीष ने बताया छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सिविल सेवा के सफल अभ्यर्थियों की सूची 30 सितंबर को जारी होने की संभावना है. इसी के तहत अर्जेंट ही रिंग का आवेदन किया गया है मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित ने इस फाइल को अपने पास रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश उनके आवेदन से सहमत हुए तो जल्दी ही इस को सुनवाई के लिए लिस्ट करने का आदेश जारी कर सकते हैं. इस मामले में आदिवासी समाज के नेता योगेश ठाकुर और जांजगीर चांपा जिला पंचायत की सदस्य विद्या सिदार की ओर से भी दो याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल होने जा रही है. योगेश ने बताया कि तमाम प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. जल्द ही वकील के माध्यम से याचिका दाखिल कर दी जाएगी.


एचसी ने बदला आरक्षण:उच्च न्यायालय बिलासपुर ने 19 सितंबर को अपने एक फैसले में छत्तीसगढ़ के 58% आरक्षण को असंवैधानिक बताया था. साथ ही किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने की बात कही थी. हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32% से घटकर 20% हो गया. वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़ाकर 16% हो गया. हाई कोर्ट के इसे फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है.

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