लुधियाना :देश भर में कोरोना के रोज करीब साढ़े तीन लाख मामले सामने आ रहे हैं. संक्रमण से मौत का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. पंजाब में यही हालात हैं. लेकिन मौतों की संख्या की बात करें तो सरकारी आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं जबकि श्मशान घाट पर जलने वाली चिताएं कुछ और ही हकीकत बयां करती हैं.
लुधियाना में रविवार को स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 17 लोगों की मौत हुई, जबकि कोरोना गाइड लाइन के तहत अंतिम संस्कार 34 लोगों के किए गए.
ट्रैफ़िक मार्शल संस्कार टीम के प्रमुख मनदीप केशव गुड्डू ने बताया कि सरकारी आंकड़ों में मौत की संख्या और अंतिम संस्कार की संख्या में अंतर की मुख्य वजह ये है कि आसपास के जिलों से भी लोग शव लेकर यहां अंतिम संस्कार करने आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि जालंधर, अमृतसर यहां तक कि रायपुर, दिल्ली से भी शव अंतिम संस्कार के लिए आ रहे हैं, यही वजह है कि आंकड़ों में अंतर है.
उन्होंने यह भी खुलासा किया है कि कुछ लोग बदनामी के डर से मृतक देह को सीधा घर से शमशानघाट संस्कार के लिए ले आते हैं. घर पर होने वाली मौतें भी सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं होतीं. शनिवार को ही पांच ऐसे लोगों के अंतिम संस्कार किए गए जिनकी मौत घर पर हुई थी.
वही. अगर जालंधर की बात करें तो जालंधर में भी सरकारी डाटा के हिसाब से रोज करीब 10 से 12 मौतें कोरोना की वजह से हो रही हैं . लेकिन श्मशान घाट में गिनती कहीं ज्यादा है.
श्मशान घाट में काम करने वाले कर्मचारियों के मुताबिक जालंधर में प्राइवेट अस्पतालों की तरफ से तो यह बताया जा रहा है कि जिस मरीज की मौत हुई है वह करोना पॉजिटिव है पर अगर बात सरकारी अस्पतालों की करें तो सरकारी अस्पतालों में मरने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों की पर्ची पर कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव नहीं लिखा जा रहा.
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इन लोगों का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि जब भी किसी मरीज की मौत के बाद उसको संस्कार के लिए भेजा जाता है तो उसकी पर्ची पर कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव जरूर लिखना चाहिए. हालांकि प्रशासन यह क्यों नहीं कर रहा यह एक महत्वपूर्ण विषय है वहीं. दूसरी तरफ कोरोना पॉजिटिव मरीजों के बारे में श्मशान घाटों को सही जानकारी ना दिया जाना सेहत विभाग पर एक सवालिया निशान लगा रहा है.