नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) ने विदेशी कोष रखने वाले वित्तीय संस्थानों का विवरण मांगा है और सवाल किया कि क्या बाजार विनियामक इसे अभी लागू कर सकता है या अडाणी समूह को दोष मुक्त घोषित करने का यह एक और संकेत है. कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए ट्विटर पर यह सवाल भी किया कि क्या यह कदम इस बात को कहने के लिए देर से किया गया प्रचार पाने की कवायद है कि ‘‘हमने कोशिश की लेकिन नाकाम हो गये...’’ और सेबी, उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित समय सीमा से पहले अडाणी मुद्दे की जांच कैसे पूरी करेगा.’’
रमेश ने समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को संलग्न करते हुए ट्वीट किया, ‘‘जरा क्रोनोलॉजी (घटनाक्रम) समझिये: पहले सेबी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अचानक स्वामित्व नियमों में ढील दे दी, ताकि उन्हें अस्पष्ट बनाया जा सके. इसके बाद, अडाणी समूह ने अपने संरक्षक मंत्री द्वारा उसके लिए बनाई गई इस अस्पष्टता का पूरा फायदा उठाया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिर, ‘मोडाणी गाथा’ शुरू हुई. कांग्रेस और अन्य दल काफी समय से संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) का गठन किये जाने की मांग कर रहे हैं. मोदी सरकार इसके बजाय इसे उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति द्वारा सुलझा रही है.’’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अडाणी मुद्दे की जेपीसी से जांच कराने की मांग करती रही है.
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति ने स्वामित्व नियमन को अपारदर्शी बनाने के लिए सेबी को जवाबदेह ठहराया है. इसलिए, सेबी ने कांग्रेस पार्टी द्वारा बार-बार मांग किये जाने के जवाब में और विशेषज्ञ समिति के नुकसान की भरपाई करने की मुद्रा में आने पर, कुछ कोष के पीछे मौजूद वित्तीय संस्थानों का विवरण मांगा है.