कैथल: अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉक्टर गगनदीप कौर सिंह की अदालत ने 7 साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद निर्ममता से हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है. कैथल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी दोषी को मौत की सजा दी गई हो. इस बारे में बच्ची के पिता ने 8 अक्टूबर को थाना कलायत में धारा 365, 366, 376-ए बी 302, 201 आईपीसी और धारा 6 पोक्सो एक्ट के तहत केस नंबर 395 दर्ज करवाया था. बाद में जांच के बाद केस में आईपीसी की धारा 376 (3) भी जोड़ी गई थी.
खेलते समय बच्ची को ले गया था दोषी-मामला 8 अक्टूबर 2022 का है. उस समय बच्ची गली में खेल रही थी. जब बच्ची घर वापस नहीं आई तो उसकी तलाश शुरू की गई. कलायत थाने में अपहरण का केस दर्ज करवाया गया. अगले दिन दोपहर 3 बजे बच्ची का अधजला शव निकट के जंगलों में मिला. पुलिस ने मौके पर फॉरेंसिक टीम को बुलाया. इस संबंध में पवन को हिरासत में लिया गया क्योंकि यह युवक सीसीटीवी की फुटेज में बच्ची को अपने साथ ले जाते हुए नजर आ रहा था.
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दुष्कर्म के बाद की थी हत्या- प्रथम दृष्टया आशंका जताई जा रही थी कि बच्ची के साथ हैवानियत करके उसके शव को आग के हवाले किया गया है. पूछताछ में दोषी पवन ने सारी वारदात का खुलासा कर दिया. उसने बताया कि बच्ची से उसने रेप किया. जब बच्ची ने शोर मचाया तो पवन ने मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी. उसके बाद पवन ने सबूत नष्ट करने के मकसद से पेट्रोल छिड़ककर उसके शव को जला दिया. जांच के दौरान पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिला, जिसमें पवन बच्ची को ले जाता हुआ नजर आ रहा है. इसके बाद पवन के खिलाफ हत्या और रेप का केस दर्ज किया गया.
मामले में 34 गवाह पेश हुए- केस की सुनवाई तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत में शुरू हुई. इस केस में 2 नवंबर को चार्ज लगाया गया था. मामले में कुल 34 गवाह पेश किए गए. सरकारी वकील और जिला न्यायवादी जयभगवान गोयल ने बताया कि दिलबाग सिंह और मोहन ने सबसे पहले जंगल में बच्ची की अधजली लाश को देखा था. उसने सीसीटीवी फुटेज में भी बच्ची और आरोपी पवन की पहचान की.
बहस के दौरान गोयल और खुरानिया ने अदालत को बताया कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर की कैटेगरी में आता है, इसलिए दोषी को मौत की सजा दी जाए. दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने भी दृढ़ता से पवन का पक्ष रखा. दोनों पक्षों को गौर से सुनने के बाद एडीजे डॉक्टर गगनदीप कौर सिंह ने पवन को रेप और हत्या का दोषी पाया तथा गवाहों और सबूतों को देखते हुए अपने 100 पेज के फैसले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई.