लखनऊ : कानपुर के सेवानिवृत प्रधानाचार्य की हत्या व आतंकी गतिविधियों के मामले में दोष सिद्ध आतंकियों आतिफ मुजफ्फर व मोहम्मद फैसल को एनआईए/एटीएस की विशेष अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है. दोनों आरोपी आतंकी संगठन आईएसआईएस के सक्रिय सदस्य थे.
विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्र ने अपने फैसले में कहा कि कानपुर के सेवानिवृत प्रधानाचार्य की रमेश बाबू शुक्ला की हत्या सामान्य हत्या की श्रेणी में नहीं आती. क्योंकि यह हत्या प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस के प्रति प्रतिबद्धता सिद्ध करने के लिए मृतक की यह पहचान सुनिश्चित करते हुए की गई कि मृतक एक गैर मुस्लिम काफिर व्यक्ति है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों की मृतक से कोई दुश्मनी नहीं थी और न ही मृतक ने कभी किसी धार्मिक समुदाय के प्रति कोई आपत्तिजनक कथन किया था. कोर्ट ने फैसले में कहा है कि इस हत्या का उद्देश्य मुस्लिम बाहुल्य आधारित शरीयत व्यवस्था को लागू करना तथा गैर मुस्लिम व काफिर आबादी का उन्मूलन करने के साथ-साथ उनमें आतंक फैलाना था. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में आरोपियों के इस कृत्य के लिए समाज विनिर्दिष्ट रूप से उनके लिए मृत्यु दंड को ही स्वीकार करेगा.
यह था मामला
24 अक्टूबर 2016 को कानपुर में सेवानिवृत प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ला की हत्या हुई थी. वह स्वामी आत्म प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य थे. अभियुक्तों ने उनके हाथ में बंधे कलावा से हिंदू पहचान सुनिश्चित कर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस मामले की एफआईआर उनके बेटे अक्षय शुक्ला ने थाना चकेरी में दर्ज कराई थी. एनआईए की ओर से बहस के दौरान बताया गया कि 8 मार्च 2017 को भोपाल उज्जैन ट्रेन में विस्फोट किया गया था. जिसमें आरोपी आतिफ मुजफ्फर व दानिश को गिरफ्तार किया गया था. अदालत को बताया गया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए गृह मंत्रालय ने 14 मार्च 2017 को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी. एनआईए की जांच के दौरान जब आरोपियों को गिरफ्तार किया गया तब आरोपी आतिफ मुजफ्फर ने कुबूल किया कि उनके द्वारा कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला की गोली मारकर हत्या की गई थी.