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Good News: पाकिस्तान से भारत पुहंची गीता को आखिरकार मिल ही गया परिवार, बताया गीता से राधा तक का सफर, GRP का किया शुक्रिया - madhya pradesh news in hindi

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों के बाद पाकिस्तान से भारत पहुंची मूक बधिर गीता को आखिरकार अपना परिवार मिल ही गया, जिसके बाद अब गीता ने भोपाल में जीआरपी पुलिस का शुक्रिया अदा किया है. इस दौरान उन्होंने खुद के राधा से गीता और फिर राधा तक का सफर भी शेयर किया है. (Deaf mute Geeta thanks GRP Police)

Deaf mute Geeta thanks GRP Police
मूक बधिर गीता का असली नाम राधा

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Published : Jun 28, 2022, 9:45 PM IST

भोपाल।भारत सरकार के अथक प्रयासों से 15 वर्ष बाद पाकिस्तान से लौटी मूक बधिर बालिका गीता, जिसे स्वर्गीय पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के प्रयासों से भारत लाया गया था. इसके बाद मध्यप्रदेश जीआरपी पुलिस के विशेष प्रयासों से वह वापस अपने परिवार से मिली, जिसे लेकर आज भोपाल में गीता और अपने परिजनों के साथ मध्य प्रदेश जीआरपी पुलिस को धन्यवाद देने पहुंची. (Deaf mute Geeta thanks GRP Police) इस मौके पर गीता के टीचर और इंदौर की संस्था पहल फाउंडेशन के अभी लोग साथ में थे, इस दौरान बताया गया कि गीता की दादी के द्वारा बताए गए निशान के आधार पर गीता की पहचान हुई और तब जाकर यह खुलासा हुआ कि वह गीता नहीं राधा है.

मूक बधिर गीता का असली नाम राधा

राधा से गीता और फिर राधा तक का सफर:आज भोपाल में गीता ने साइन लैंग्वेज के माध्यम से बताया कि किस तरह साइन लैंग्वेज के माध्यम से उन्होंने कराची में संस्था के लोगों को बताया कि वह हिंदू है और भारत की रहने वाली हैं और वह पूजा-पाठ करती हैं. कराची स्थित संस्था द्वारा गीता और राधा को वहां पर मंदिर बना कर पूजा करने की व्यवस्था कराई गई. गीता राधा है यह बात तो उनकी दादी ने अभी बताई पर गीता ने उस समय ही साइन लैंग्वेज के माध्यम से बता दिया था कि उसका नाम भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है, क्योंकि उसे अपना नाम लिखना भी नहीं आता था. लेकिन इशारे में उसने इस बात को बताया तब जाकर उसे गीता नाम दिया गया, हालांकि गीता की दादी के बताए चोट के निशान के आधार पर यह स्पष्ट हुआ कि वह गीता नहीं राधा है.

पाकिस्तान के अनुभव पर बोलीं गीता: गीता से जब पूछा गया कि उन्हें पाकिस्तान अच्छा लगता है या भारत, तब उन्होंने साइन लैंग्वेज के माध्यम से जवाब दिया कि उन्हें भारत ही पसंद है. हालांकि पाकिस्तान में जिस एनजीओ में वह रही थी, उस एनजीओ की संचालिका ने गीता को अपनी बेटी की तरह रखा और गीता भी उन्हें अपनी मां का दर्जा देती हैं. फिलहाल उन संचालिका की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उससे पहले भारत आने के बाद भी गीता लगातार उनके टच में रही और स्काइप के माध्यम से गीता उनसे बात करती रहती थीं. गीता ने बताया कि पाकिस्तान में उन्हें बहुत अच्छे से रखा गया लेकिन वहां के लोग नॉनवेज बहुत खाते थे और उसकी दादी ने उसे बचपन में बताया था कि हम पूजा पाठ करने वाले लोग हैं और हमें नॉनवेज नहीं खाना है. गीता को ये बात बचपन से याद थी और गीता श्री कृष्ण भगवान और हनुमान जी की भक्ति करती हैं, जिसके चलते गीता को पाकिस्तान में भी शाकाहारी खाना दिया जाता था.

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कौन है गीता ?

- गीता 14 साल तक पाकिस्तान में रही. गलती से सीमा पार करने के बाद उसे पाकिस्तान के पंजाब में रेंजर्स ने देखा था.
- रेंजर्स पहले उसे लाहौर के ईदी फाउंडेशन में ले गए थे.
- बाद में कराची में इसी संगठन के एक शेल्टर होम में उसे भेज दिया गया.
- कराची में ‘मदर ऑफ पाकिस्तान' के नाम से मशहूर बिलकिस ईदी ने इस लड़की का नाम गीता रखा.
- पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की पहल के चलते मूक बधिर गीता को भारत लाया गया था.
- इसके बाद से ही वह इंदौर के एक मूक-बधिर संस्थान में रह रही थी.

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