जिस महिला की हत्या के आरोप में सजा काट रहे युवक, वह निकली जिंदा. दौसा. जिले से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यूपी पुलिस की गलती की सजा जिले के दो लोगों कई साल जेल में रहकर भुगतनी पड़ी है. यूपी पुलिस ने दोनों आरोपियों को जिस महिला की हत्या के आरोप में जेल भिजवाया था वह जीवित निकली. यही नहीं महिला शादी कर अपने दूसरे पति के साथ जीवन भी जी रही है. इस महिला की हत्या के आरोप में दोनों व्यक्ति कई साल सजा काट (dead Up woman found alive) चुके हैं. मामले के खुलासे के बाद पुलिस महिला को लेकर यूपी गई है और वहां उसका बयान दर्ज किए जाने के बाद कोर्ट में पेश किया जाएगा और आगे की कार्रवाई होगी.
यूपी की वृंदावन पुलिस ने दौसा के जिन 2 लोगों को महिला की हत्या के आरोप (two youths of Dausa charged of murder) में गिरफ्तार करके जेल भिजवाया था वही महिला आज अपने दूसरे पति के साथ जिंदगी जी रही है. इस महिला की वजह से दौसा के रसीदपुर के रहने वाले सोनू सैनी और उदयपुर के रहने वाले गोपाल सैनी की जिंदगी कभी जेल और तो कभी बेल के लिए कोर्ट के चक्कर काटते बीत रही है. बिना जुर्म के ही दोनों गंभीर मामले में अपराध की सजा काट रहे हैं. यूपी पुलिस ने इन दो व्यक्तियों को गिरफ्तार करके खूब वाहवाही बटोरी थी और 15 हजार रुपए का इनाम भी लिया था. पिछले 7 वर्षों से हत्या के आरोप का दंश झेल रहे इन दोनों पीड़ितों ने अब तक लाखों रुपए मुकदमे की पैरवी में खर्च कर दिए हैं, लेकिन इन पीड़ितों के लिए दौसा मसीहा बनकर आई है.
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बेगुनाही साबित करने के लिए की कड़ी मशक्कत
जब सोनू सैनी और गोपाल सैनी जेल से जमानत पर बाहर आए तो उन्होंने महिला आरती की तलाश शुरू की. इसी दौरान मेहंदीपुर बालाजी में एक युवक से पूछताछ पर पता चला कि विशाला गांव में कोई झांसी की तरफ की महिला कोर्ट मैरिज कर रह रही है जिसके बाद दोनों युवक उस गांव में कभी सब्जी बेचने जाते तो कभी ऊंट खरीदने के बहाने से जाते और महिला के होने की पुष्टि करने का प्रयास करने लगे. काफी दिनों बाद उन्होंने जब महिला को देखा तो उसे पहचान गए. उसके बाद उन्होंने महिला की आईडी सरकारी कार्यालय के माध्यम से निकलवाई जिस में भी काफी वर्ष लग गए.
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मुकदमा था झूठा, महिला जिंदा
पहचान पत्र हाथ लगने और पूरी तरह पुष्टि होने के बाद दोनों बेगुनाह दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी थानाधिकारी अजीत बड़सरा के पास पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी दी. दोनों पीड़ितों की निशानदेही पर जब पुलिस ने महिला की तलाश की तो वह बैजूपाड़ा थाना क्षेत्र के विशाला गांव में अपने दूसरे पति भगवान सिंह रेबारी के साथ रहती मिली. इसके बाद दौसा पुलिस ने वृंदावन थाना पुलिस को सूचना दी. सूचना के बाद दौसा पहुंची यूपी पुलिस भी महिला को जिंदा देख हैरान रह गई और दस्तावेजों का सत्यापन किया गया. महिला के माता-पिता को बुलाया गया तो यह कन्फर्म हो गया कि जिस आरती नामक महिला की हत्या का मुकदमा वृंदावन थाने में दर्ज हुआ था वह झूठा था और महिला जिंदा है.
इसके बाद यूपी पुलिस आरती को लेकर वृंदावन के लिए रवाना हो गई. वहां न्यायालय में बयान कराए जाएंगे. दौसा के मेहंदीपुर बालाजी थाना अधिकारी अजीत बड़सरा ने बताया कि 2015 में आरती लापता हुई थी और जिसके बाद वृंदावन के नगला झींगा नहर में एक महिला का शव मिला था. शव की शिनाख्त नहीं हुई तो पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन कुछ दिन बाद आरती का पिता वृंदावन पहुंचा और नहर में मिले शव की शिनाख्त अपनी बेटी आरती के रूप में की और पूरे मामले में दौसा के सोनू और गोपाल सिंह पर हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. पिता ने बताया कि कुछ साल पहले बेटी दौसा के सोनू के साथ भाग गई थी और उससे शादी कर ली थी. उसी ने बेटी की हत्या कर दी है.
पुलिस की कार्य शैली पर भी सवाल
दरअसल आरती भी यूपी की रहने वाली है और वह मेहंदीपुर बालाजी में वर्ष 2015 में आई थी जिसके बाद उसने सोनू सैनी से कोर्ट मैरिज की थी. ऐसे में आरती के पिता ने पति व उसके दोस्त के खिलाफ की हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. इसपर पुलिस ने दोनों पीड़ितों को आरती की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. वहीं आरती अपने दूसरे पति भगवान सिंह रेबारी के साथ विशाला गांव में कई सालों से रह रही थी. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर वृंदावन पुलिस ने हत्या के मामले की जांच सही तरीके से क्यों नहीं की और क्यों दो बेगुनाहों को गिरफ्तार कर लंबे समय तक जेल की सलाखों के पीछे रखा गया.
इस मामले में दूसरा गुनहगार आरती का पिता है जिसने अपनी बेटी की हत्या की झूठी एफआईआर दर्ज करा दी. इतना ही नहीं, इस गुनहगार की सूची में आरती शामिल है क्योंकि वह पिछले 7 सालों से पुलिस के सामने नहीं आई जबकि वह अपने परिजनों से फोन पर लगातार संपर्क में थी. ऐसे में इन दो बेगुनाहों को न्याय दिलाने के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी.