उत्तरकाशी:हर्षिल-छितकुल के लखमा पास पर बर्फबारी के दौरान लापता 11 ट्रैकर्स में से 7 लोगों की मौत की पुष्टि हो गई है. शुक्रवार को तीन शवों को हर्षिल लाया गया. हर्षिल की बिहार रेजीमेंट सेना सहित एसडीआरएफ लगातार वायु सेना के हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू अभियान चला रही है. 5 लोगों की पहचान हो चुकी है. दो की पहचान नहीं हो सकी है.
वहीं, आज सुबह एक गाइड देवेंद्र को जिंदा रेस्क्यू किया गया और वायु सेना के हेलीकॉप्टर से उन्हे हर्षिल पहुंचाया गया. देवेंद्र पुरोला उत्तरकाशी के ही रहने वाले हैं. वहीं, बीते दिन रेस्क्यू किए गए पश्चिम बंगाल निवासी 31 वर्षीय ट्रैकर मिथुन दारी का जिला अस्पताल में अभी इलाज चल रहा है.
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि शुक्रवार दोपहर तक 3 शव हर्षिल लाए जा चुके हैं. अन्य शवों को भी लाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही लापता लोगों की तलाश भी जारी है.
घायल ट्रैकर मिथुन दारी ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 17 अक्टूबर को दोपहर में अपने कैंप से वो लखमा पास के लिए रवाना हुए तो मौसम साफ था. दोपहर बाद जब उन्होंने लखमा पास को पार किया, तब भी मौसम साफ था. जब वो लखमा पास पार करने के बाद छितकुल (हिमाचल प्रदेश) के लिए रवाना हुए, तभी अचानक भारी बर्फबारी शुरू हो गई.
बर्फबारी के बीच बिताए तीन दिनःमिथुन दारी ने बताया कि उनके गाइड ट्रैकर्स के साथ आगे-आगे बर्फ हटाकर रास्ता बना रहे थे. जबकि, पोर्टर पीछे थे. तभी अचानक मिथुन के दो साथी बर्फ में फिसलने के कारण नीचे जा गिरे. तभी मिथुन के पीछे से एक साथी भी फिसला और मिथुन के पैर पर गिरने के बाद वो भी नीचे फिसल गया. जिसमें मिथुन का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया. मिथुन के गाइड 37 वर्षीय देवेंद्र ने उन्हें किसी प्रकार संभाल कर टैंट में लाए. तब तक बर्फबारी भारी होने के कारण सभी साथी अलग-थलग पड़ गए. मात्र अपने गाइड के साथ उन्होंने अपनी चोट के साथ टैंट के अंदर किसी प्रकार तीन दिन काटे. दो दिन बाद हेलीकॉप्टर की आवाज सुन कर किसी प्रकार जीवित बचने की उम्मीद बची.