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Published : Mar 11, 2021, 4:59 PM IST

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विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर DCGI ने कोवैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड हटाया

केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक की कोविड19 वैक्सीन 'कोवैकेसीन' के उपयोग के लिए क्लीनिकल ट्रायल मोड को हटाने की सिफारिश की.

कोवैक्सीन
कोवैक्सीन

नई दिल्ली : केंद्रीय ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने भारत बायोटेक के कोविड19 वैक्सीन कोवैकेसीन के उपयोग के लिए 'क्लीनिकल ट्रायल मोड' को हटाने की सिफारिश की. समिति की इस सिफारिश को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने गुरुवार को स्वीकार कर लिया.

हैदराबाद स्थित कंपनी ने पिछले हफ्ते दावा किया कि कोवैक्सीन ने अपने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में 81 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई. निष्कर्षों के बाद कंपनी ने क्लीनिकल ट्रायल मेथड को हटाने के लिए DCGI से संपर्क किया.

बता दें कि इस साल जनवरी में कोवैक्सीन को टीके प्रभावकारिता के अधूरे डेटा के कारण क्लीनिकल ट्रायल मोड के तहत इमेंरजेंसी इस्तेमाल के लिए अधिकृत कर दिया गया था.

हाल ही में एक वैश्विक चिकित्सा पत्रिका द लैंसेट ने कहा है कि BBV152 (कोवैक्सीन) सुरक्षित है और इसके कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं देखने को मिले हैं.

बुधवार को हुई अपनी बैठक में विशेषज्ञ समिति ने नैदानिक परीक्षण मोड में वैक्सीन के उपयोग की स्थिति के लिए सिफारिश की. समिति ने कहा, 'हालांकि, आपातकालीन स्थिति में ही इस वैक्सीन का उपयोग जारी रखा जाना चाहिए, जबकि भारत बायोटेक ने विशेषज्ञ समिति को देश में अपने तीसरे चरण का संपूर्ण अपडेट डेटा दिया था.

इस संबंध में वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की सलाहकार डॉ सुनीला गर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि यह मंजूरी काफी अपेक्षित थी. यह डेवेलपमेंट निश्चित रूप से मेक इन इंडिया वैक्सीन को बढ़ावा देगा.

डॉ गर्ग ने कहा कि भारत बायोटेक न केवल भारत के लिए, बल्कि अन्य देशों के लिए भी अच्छे टीके बनाने के लिए जाना जाता है. खासतौर पर कोवैक्सीन के साथ वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की झिझक चिंता का विषय था, क्योंकि वह इस बात से सहमत थे कि लोग कोवैक्सीन लेने में संकोच कर रहे थे.

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इस मामले में एक अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तमोरिश कोले का कहना है कि यह सच है कि कई राज्य सरकारें पहले कोवैक्सीन खुराक लेने से हिचक रही थीं, जो कि एक सही कदम था. हालांकि भारत में टीका लगाने के लिए अधिक टीकों की आवश्यकता है, क्योंकि यहां आबादी बहुत ज्यादा है.

डॉ कोले ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल मोड के साथ इमेरजेसी उपयोग के लिए कोवाक्सिन को मंजूरी देने से निश्चित रूप से वैक्सीन निर्माताओं को प्रेरणा मिलेगी क्योंकि भारत को कोविड के महामारी से लड़ने के लिए और टीकों की जरूरत है.

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