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भ्रष्टाचार और बेरोजगारी खत्म करने के संकल्प के साथ 1300 किमी की पैदल यात्रा पर दिहाड़ी मजदूर - दिहाड़ी मजदूर की पैदल यात्रा

उत्तरप्रदेश के इटावा का दिहाड़ी मजदूर सुदेश कुमार हाथ में तिरंगा लेकर 1300 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए पश्चिम बंगाल पहुंचा है. देश से बेरोजगारी दूर करने और भ्रष्टाचार रोकने का संकल्प के साथ सुदेश कुमार आसनसोल स्थित दक्षिणेश्वर की काली माता मंदिर में पूजा अर्चना करेंगे.

West Bengal Asansol
दिहाड़ी मजदूर की पैदल यात्रा

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Published : Jun 2, 2023, 9:47 AM IST

दिहाड़ी मजदूर की पैदल यात्रा.

आसनसोल:देश से बेरोजगारी दूर करने और भ्रष्टाचार रोकने का संकल्प लेकर उत्तरप्रदेश के इटावा का एक मजदूर तिरंगा लेकर करीब 1300 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकला है. इटावा जिले के कर्री (Karri) गांव के रहने वाले सुदेश कुमार पश्चिम बंगाल के आसनसोल स्थित दक्षिणेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए पैदल निकले थे, जो गुरुवार को यहां पहुंचे. सुदेश पेशे से दिहाड़ी मजदूर है. देश से बेरोजगारी और भ्रष्टाचार खत्म करना उनका संकल्प है.

दो महीने से चल रहे पैदल:सुदेश कुमार ने बताया कि करीब दो महीने से पैदल चल रहे हैं. सिर पर पगड़ी, कंधे पर जरूरी सामान का छोटा सा बैग और कंधे पर एक बड़ा राष्ट्रीय ध्वज है. उनका मानना है कि अगर वह दक्षिणेश्वर की काली माता मंदिर में अपने इस संकल्प के साथ पूजा-अर्चना करेंगे तो उनकी मनोकामना जरूर पूरी होगी.

1300 किमी की पैदल यात्रा: सुदेश ने बताया कि उन्होने अपने घर इटावा से साइकिल से दिल्ली तक साइकिल से याच्रा की. उसके बाद दिल्ली से पश्चिम बंगाल के दक्षिणेश्वर मंदिर तक जाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल चल रहे हैं. सुदेश ने बताया कि अबतक वह 1300 किमी पैदल चल चुके हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे तिरंगे के साथ कई प्रांतों में घूम रहे हैं. इस दौरान उन्होंने महसूस किया है कि लोगों में कितनी देशभक्ति है.

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यह पूछे जाने पर कि सड़क यात्रा कैसी रही? इस पर सुदेश ने कहा कि कई जगहों पर दिक्कतें होती हैं. खासकर रात में अजनबियों को कई जगहों पर खड़े होने तक की अनुमति नहीं होती है. मैं आराम नहीं कर सकता था. मैंने रात में भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया. राष्ट्रीय ध्वज का अनादर नहीं होता है और इसलिए लोग भी पहले विश्वास नहीं करते हैं. फिर पूछते हैं कि मैं कौन हूं, मेरा उद्देश्य क्या है? बताने पर लोग आगे जाने देते हैं.

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