पिथौरागढ़: दारमा घाटी में भारत-चीन सीमा के पास 14 से अधिक गांवों के लोगों ने प्रस्तावित 165 मेगावाट बोकांग-बेलिंग जल विद्युत परियोजना का समर्थन नहीं करने का निर्णय लिया है. जिसे लेकर उन्होंने डीएम को ज्ञापन भी सौंपी है. जोशीमठ संकट को देखते हुए दारमा घाटी के 14 गांवों के ग्रामीणों में डर का माहौल है. उन्हें डर है कि इसके निर्माण से वे जोशीमठ जैसे संकट से घिर जाएंगे.
165 मेगावाट बोकांग-बेलिंग जल विद्युत परियोजना को तत्काल रद्द करने की मांग को लेकर इन गांवों के निवासियों ने सोमवार शाम को नारेबाजी करते हुए लंबा जुलूस निकाला और एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा. पिथौरागढ़ की दारमा घाटी में धौली गंगा नदी में प्रस्तावित 165 मेगावाट की रन-ऑफ-द-रिवर योजना है. इसका निर्माण टीएचडीसी द्वारा किया जाना है और फिलहाल प्रोजेक्ट सर्वेक्षण चरण में है.
दारमा संघर्ष समिति के अध्यक्ष पूरण सिंह ग्वाल ने पीटीआई से कहा कि अगर इसका निर्माण हो जाता है, तो तिदांग, धाकड़, गू, फिलम और बॉन सहित कम से कम पांच गांवों को स्थानांतरित करना होगा. क्योंकि उनमें जोशीमठ की तरह दरारें आ जाएंगी. परियोजना की बड़ी सुरंगों को बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विस्फोटक गांवों की नींव को नुकसान पहुंचाएंगे.
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