नई दिल्ली : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली ने आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर भाजपा सदस्य रमेश बिधूड़ी के खिलाफ शु्क्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का आग्रह किया. अली ने पत्र में कहा है कि वह भाजपा सांसद बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं. उनके मुताबिक, बिधूड़ी ने लोकसभा में उनके खिलाफ 'आतंकवादी', 'उग्रवादी' और कई आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सदस्य ने पत्र में कहा, "मैं आपसे आग्रह करता हूं कि नियम 227 के तहत इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाए...मेरा आग्रह है कि इस मामले में जांच का आदेश दिया जाए." दानिश अली का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई जरूरी है ताकि देश का माहौल और दूषित न हो. सांसद दानिश अली ने शुक्रवार को कहा कि अगर लोकसभा के भीतर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के लिए भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वह भारी मन से सदन की सदस्यता छोड़ने पर भी विचार कर सकते हैं.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि संसद के भीतर उनके खिलाफ ‘हेट स्पीच’ (नफरती बयान) की गई है. जब एक संसद सदस्य के साथ संसद के भीतर ऐसा हो सकता है, तो एक आम नागरिक और एक मुसलमान के साथ क्या हो रहा होगा. सांसद अली ने कहा, "अब तक हेट स्पीच सड़क पर होती थी, लेकिन अब संसद के भीतर हो रही है. मैं रात भर सो नहीं पाया." लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बिधूड़ी को चेतावनी दिए जाने के सवाल पर बसपा सांसद ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि लोकसभा अध्यक्ष इस पर कार्रवाई करेंगे. अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो भारी मन से इस सदन की सदस्यता छोड़ने पर विचार कर सकता हूं, क्योंकि इस सदन में हेट स्पीच सुनने के लिए नहीं आया हूं." उन्होंने सवाल किया, "क्या इस तरह की भाषा आरएसएस की शाखा में सिखाई जाती है? क्या मोदी जी के नए भारत की प्रयोगशाला में यह सब सिखाया जाता है?" अली ने दावा किया कि जब बिधूड़ी यह टिप्पणियां कर रहे थे, तो उनके पीछे बैठे दो पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और हर्षवर्धन हंस रहे थे, मेज थपथपा रहे थे...नए भारत की नई संसद में दुनिया ने भाजपा का यह आचरण देखा है.
बिधूड़ी ने 'चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों' के विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए अली के खिलाफ कुछ टिप्पणी की थी. दानिश अली ने कल कहा था कि भाजपा सदस्य को अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए. पीठासीन सभापति कोडिकुनिल सुरेश ने इस पर बिधूड़ी के आपत्तिजनक शब्दों को रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया था. कल सदन में शोर-शराबा जारी रहने पर सदन के उपनेता राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने विवादित टिप्पणी सुनी नहीं है, लेकिन बिधूड़ी ने यदि कुछ ऐसी टिप्पणी की है, जिससे बसपा सांसद की भावना आहत हुई है तो इन शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया जाना चाहिए. उन्होंने साथ ही कहा था, "मैं इस पर खेद व्यक्त करता हूं." अब इस पर कांग्रेस ने बिधूड़ी के निलंबन की मांग की है.
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बसपा की अध्यक्ष मायावती ने भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा उनकी पार्टी के नेता दानिश अली के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर कहा कि सत्तारूढ़ दल द्वारा उनके (बिधूड़ी) विरूद्ध अभी तक समुचित कार्रवाई न करना दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शुक्रवार को सोशल साइट 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, 'दिल्ली से भाजपा सांसद द्वारा बीएसपी सांसद दानिश अली के खिलाफ सदन में आपत्तिजनक टिप्पणी को हालांकि स्पीकर ने रिकॉर्ड से हटाकर उन्हें चेतावनी भी दी है व वरिष्ठ मंत्री ने सदन में माफी मांगी, किन्तु पार्टी द्वारा उनके विरुद्ध अभी तक समुचित कार्रवाई नहीं करना दुखद/दुर्भाग्यपूर्ण.'
राकांपा ने की कार्रवाई की मांग : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के निचले सदन में दिये गये आपत्तिजनक बयानों के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. राकांपा के शरद पवार नीत खेमे के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने संवाददाताओं से कहा, "ज्यादा खराब बात यह है कि भाजपा सांसद हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद इस तरह से बिधूड़ी को बोलने से रोकने या उनकी बात सही कराने के बजाय हंस रहे थे." क्रेस्टो ने पूछा कि बिधूड़ी को अब तक निलंबित क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए. क्या भाजपा उन्हें पार्टी से निलंबित करेगी या फिर उन्हें पदोन्नत किया जाएगा?"
क्रेस्टो ने सवाल किया कि इस तरह के व्यवहार और भाषा के लिए केवल एक चेतावनी! इतनी नरमी क्यों बरती जा रही है? क्योंकि वह भाजपा से हैं, इसलिए? राकांपा विधायक जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि बिधूड़ी ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, उन्हें संसदीय रिकॉर्ड से निकाला जाना चाहिए और लोकसभा अध्यक्ष को उन्हें निलंबित करने समेत उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे. अव्हाड ने कहा कि क्या हम नयी संसद से पूरी दुनिया के सामने यही संस्कृति प्रस्तुत कर रहे हैं.
कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने की निन्दा :कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, "लोकसभा में बिधूड़ी के बयान संसद के सभी सदस्यों का अपमान करने वाले हैं. बिधूड़ी को उनके बयानों के लिए लोकसभा से निलंबित किया जाना चाहिए." मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने बिधूड़ी की गिरफ्तारी की मांग की. पार्टी ने एक बयान में कहा, "नफरत भरे भाषण के लिए कोई विशेषाधिकार नहीं. रमेश बिधूड़ी को गिरफ्तार किया जाए." तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'मुसलमानों और ओबीसी को गाली देना भाजपा की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. अधिकतर को इसमें कुछ गलत नजर नहीं आता. नरेन्द्र मोदी ने भारतीय मुसलमानों को उनके ही देश में इस कदर डर में रहने के लिए मजबूर कर दिया है कि वे सबकुछ बिना शिकायत किए सह लेते हैं.' उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष को बिधूड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
राज्यसभा सदस्य और शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'भाजपा सांसद ने साथी बसपा सदस्य कुंवर दानिश अली के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. कोई शर्म नहीं बची. क्या लोकसभा अध्यक्ष संज्ञान लेंगे और कार्रवाई करेंगे.' आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि क्या बिधूड़ी की भाषा आरएसएस के सिखाये मूल्यों का परिणाम है. उन्होंने कहा, "मुझे मणिपुर में हिंसा का मुद्दा उठाने पर निलंबित कर दिया गया था. कुंवर दानिश अली को गाली देने वाले इस सांसद के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी." आप ने बिधूड़ी की टिप्पणियों के दौरान हंसने पर भाजपा सदस्यों हर्षवर्धन और रविशंकर प्रसाद की भी आलोचना की.
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "लोग चेहरे से नहीं बल्कि शब्दों से पहचाने जाते हैं. अगर देखा जाए तो बीजेपी का कोई एक नेता ऐसी मानसिकता वाला नहीं है. अतीत में ऐसे कई नेता हैं जिन्होंने ऐसी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए कई टिप्पणियां की हैं...लोकसभा को ऐसे लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए कि वे चुनाव भी न लड़ पाएं..."