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दुबई में नौकरी कर रहे युवक से आगरा में खतरा, पुलिस ने किया यह काम

अपराधियों पर अंकुश लगाने की जल्दबाजी में यूपी पुलिस को कोई सानी नहीं है. ऐसे कारनामे करने में यूपी पुलिस माहिर है. आगरा पुलिस ने कुछ ऐसा ही काम किया है. आगरा पुलिस ने बिना जांचे परखे दुबई में रह रहे एक व्यक्ति को शांति में पाबंद कर दिया है.

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Published : May 31, 2023, 9:29 AM IST

आगरा :आगरा कमिश्नरेट पुलिस का अजब-गजब मामला सामने आया है. आगरा पुलिस को दुबई में नौकरी कर रहे युवक से आगरा में लोक पर शांति भंग होने का खतरा है. इसलिए पुलिस ने उसे पाबंद करने की रिपोर्ट भेज दी. इतना ही नहीं, इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर एसीपी ने युवक को पाबंद करने के लिए नोटिस भी जारी कर दिया. जब नोटिस युवक के घर पहुंचा तो परिवार हैरान रह गया. परिवार ने डीसीपी और पुलिस कमिश्नर से गुहार लगाई है. अब डीसीपी इस मामले की जांच करा रहे हैं.

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मामला आगरा के सदर थाना क्षेत्र का है. सदर थाना क्षेत्र की हिमाचल कॉलोनी, देवरी रोड निवासी पूर्व पार्षद गजेंद्र सिंह ने बताया कि भाई शैलेंद्र सिंह उर्फ जाट दो अप्रैल 2023 को आगरा से दुबई गया. वहीं पर शैलेंद्र सिंह नौकरी भी कर रहा है. बीते दिनों एसीपी छत्ता का नोटिस मिला. जिसे देखकर सभी हैरान रह गए. नोटिस में लिखा था कि शैलेंद्र सिंह आपराधिक प्रवृत्ति का है. उसका आस-पास के मोहल्ले में भय व्याप्त है. शैलेंद्र सिंह किसी भी समय अप्रिय घटना घटित कर सकता है. जिससे लोक परिशांति भंग होने का खतरा है. इसलिए शैलेंद्र सिंह को सदर थाना प्रभारी निरीक्षक ने 110जी में पाबंद करने की रिपोर्ट भेजी थी. जिसके आधार पर एसीपी छत्ता की कोर्ट ने शैलेंद्र सिंह को पाबंद किया है. इसलिए नोटिस मिलने पर दो जमानतदार के साथ कार्यालय में पेश हों.

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पूर्व पार्षद गजेंद्र सिंह और परिजन मंगलवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय में शिकायत की. जहां पर डीसीपी सिटी विकास कुमार मिले. पूर्व पार्षद और उनके परिजन ने पुलिस के पाबंद करने की बात बताई कि जो व्यक्ति आगरा में मौजूद ही नहीं है. दुबई में नौकरी कर रहा है. उससे पुलिस को खतरा कैसे हो सकता है. इस पर डीसीपी सिटी विकास कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं. पूर्व पार्षद गजेंद्र सिंह ने डीसीपी सिटी विकास कुमार को बताया कि 2019 में सदर थाना में जानलेवा हमले और एससी/एसटी एक्ट का एक मुकदमा दर्ज हुआ था. जिसमें रंजिशन भाई शैलेंद्र सिंह उर्फ शैली जाट को नामजद किया था. तब भी शैलेंद्र सिंह यूपी में ही नहीं था. वो दूसरे राज्य में नौकरी कर रहा था. तब डिजिटल साक्ष्य और अन्य दस्तावेज से पुलिस ने ही भाई को निर्दोष साबित करके उसका नाम मुकदमे से निकाला था.


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