नई दिल्ली :चक्रवाती तूफान बिपरजॉय बेहद खतरनाक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है. इसे लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के तटों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. चक्रवाती तूफान को लेकर चिंता इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि ये मानसून को भी प्रभावित कर सकता है.
मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) ने भी इसकी पुष्टि की है. स्काईमेट वेदर ने अगले चार हफ्तों में भारत में कमजोर मानसून की भविष्यवाणी की है.
स्काईमेट वेदर ने कहा कि भारत के मध्य और पश्चिमी हिस्से, जो मुख्य मानसून क्षेत्र का निर्माण करते हैं, मौसम की शुरुआत में अपर्याप्त वर्षा के कारण सूखे के प्रभाव से निपटने में चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. दरअसल दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून की सामान्य तिथि के एक सप्ताह बाद 8 जून को केरल पहुंचा था.
निजी एजेंसी ने कहा कि अरब सागर में चक्रवात बिपरजॉय ने पहले केरल में मानसून की शुरुआत में देरी की और अब बारिश वाली प्रणाली की प्रगति को बाधित कर रहा है. मानसून की बारिश आमतौर पर 15 जून तक महाराष्ट्र, ओडिशा और आधे तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार को कवर करती है. हालांकि इन इलाकों में अभी भी मानसून की अच्छी बारिश का इंतजार है.
क्या पड़ेगा असर? : दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत में किसी भी तरह की देरी से कृषि में बाधा आ सकती है. देरी से आने वाले मानसून से किसानों को कम उपज का सामना करना पड़ सकता है. आमजनों की बात करें तो यह लंबे समय तक गर्मी की स्थिति भी पैदा कर सकता है. यानी कई इलाकों में लोगों को गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं
अच्छा मानसून है तो नहीं बनता है चक्रवात : चक्रवात और मानसून एक दूसरे को प्रभावित करते हैं. पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के एक जलवायु वैज्ञानिक का कहना है कि, 'अगर मजबूत मानसून है, तो चक्रवात नहीं बन सकता है.' यानी मानसून की कमजोर शुरुआत के परिणामस्वरूप ही चक्रवात का निर्माण होता है.
वैज्ञानिक के अनुसार, हवाएं दो दिशाओं में चलती हैं- निचले स्तरों में दक्षिण-पश्चिम और ऊपरी स्तरों में उत्तर-पूर्व. यह चक्रवात को लंबवत बढ़ने से रोकता है, इसके बनने में बाधा डालता है. उनका कहना है कि इस बार मानसून कमजोर है. ये चक्रवात को लंबवत विकसित होने की अनुमति देता है क्योंकि यह हवाओं से गुजर सकता है और ऊपर की ओर बढ़ सकता है. हालांकि मानसून कमजोर क्यों है? ये भी बड़ा सवाल है. इसकी वजह अल नीनो हो सकता है.