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Biparjoy Impact : मानसून कमजोर कर रहा बिपरजॉय, गर्मी बढ़ाने के साथ अन्नदाताओं को कराएगा बारिश का इंतजार

मौसम विभाग ने चक्रवात तूफान बिपरजॉय (Biparjoy) को लेकर चेतावनी जारी कर दी है कि इससे गुजरात में व्यापक नुकसान हो सकता है. चिंता की बात ये है कि नुकसान सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं है, बल्कि ये देशभर के मानसून पर भी असर डाल सकता है. ऐसा हुआ तो देश के कई इलाकों में ज्यादा गर्मी का सामना करना पड़ेगा, वहीं खेती के लिए बारिश का इंतजार कर रहे अन्नदाता किसानों को भी सिंचाई के लिए जूझना पड़ सकता है.

Biparjoy Impact
मानसून पर बिपरजॉय का असर

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Published : Jun 13, 2023, 4:56 PM IST

Updated : Jun 13, 2023, 5:09 PM IST

नई दिल्ली :चक्रवाती तूफान बिपरजॉय बेहद खतरनाक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है. इसे लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के तटों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. चक्रवाती तूफान को लेकर चिंता इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि ये मानसून को भी प्रभावित कर सकता है.

मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) ने भी इसकी पुष्टि की है. स्काईमेट वेदर ने अगले चार हफ्तों में भारत में कमजोर मानसून की भविष्यवाणी की है.

स्काईमेट वेदर ने कहा कि भारत के मध्य और पश्चिमी हिस्से, जो मुख्य मानसून क्षेत्र का निर्माण करते हैं, मौसम की शुरुआत में अपर्याप्त वर्षा के कारण सूखे के प्रभाव से निपटने में चुनौतियों का सामना कर सकते हैं. दरअसल दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून की सामान्य तिथि के एक सप्ताह बाद 8 जून को केरल पहुंचा था.

निजी एजेंसी ने कहा कि अरब सागर में चक्रवात बिपरजॉय ने पहले केरल में मानसून की शुरुआत में देरी की और अब बारिश वाली प्रणाली की प्रगति को बाधित कर रहा है. मानसून की बारिश आमतौर पर 15 जून तक महाराष्ट्र, ओडिशा और आधे तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार को कवर करती है. हालांकि इन इलाकों में अभी भी मानसून की अच्छी बारिश का इंतजार है.

क्या पड़ेगा असर? : दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत में किसी भी तरह की देरी से कृषि में बाधा आ सकती है. देरी से आने वाले मानसून से किसानों को कम उपज का सामना करना पड़ सकता है. आमजनों की बात करें तो यह लंबे समय तक गर्मी की स्थिति भी पैदा कर सकता है. यानी कई इलाकों में लोगों को गर्मी से राहत के आसार नहीं हैं

अच्छा मानसून है तो नहीं बनता है चक्रवात : चक्रवात और मानसून एक दूसरे को प्रभावित करते हैं. पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) के एक जलवायु वैज्ञानिक का कहना है कि, 'अगर मजबूत मानसून है, तो चक्रवात नहीं बन सकता है.' यानी मानसून की कमजोर शुरुआत के परिणामस्वरूप ही चक्रवात का निर्माण होता है.

वैज्ञानिक के अनुसार, हवाएं दो दिशाओं में चलती हैं- निचले स्तरों में दक्षिण-पश्चिम और ऊपरी स्तरों में उत्तर-पूर्व. यह चक्रवात को लंबवत बढ़ने से रोकता है, इसके बनने में बाधा डालता है. उनका कहना है कि इस बार मानसून कमजोर है. ये चक्रवात को लंबवत विकसित होने की अनुमति देता है क्योंकि यह हवाओं से गुजर सकता है और ऊपर की ओर बढ़ सकता है. हालांकि मानसून कमजोर क्यों है? ये भी बड़ा सवाल है. इसकी वजह अल नीनो हो सकता है.

मौसम के जानकारों का ये भी कहना है कि एक बार चक्रवात बनने के बाद, यह अपने ट्रैक की दिशा के आधार पर मानसून को और प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञ के अनुसार, यह या तो इसे बढ़ा या बाधित कर सकता है.

अरब सागर में पहले भी बनते रहे हैं ऐसे चक्रवात : अरब सागर में ऐसे चक्रवात भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून की शुरुआत के चरण के दौरान बनते रहे हैं. 1979 से 2019 के बीच की बात करें तो करीब 40 साल में 17 बार ऐसी स्थिति बनी है. वर्षवार नजर डालें तो 1984, 1985, 1987, 1988, 1989, 1992, 1994, 1996, 1998, 2001, 2007, 2010, 2011, 2014, 2015, 2018 और 2019 में ऐसी स्थिति बनी.

अरब सागर में जून और नवंबर में आते हैं बड़े चक्रवात : 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 70 प्रतिशत उष्णकटिबंधीय चक्रवात और 90 प्रतिशत बहुत गंभीर और सुपर चक्रवात मई, जून और नवंबर के दौरान अरब सागर पर हमला करते हैं.

क्यों नाम पड़ा बिपरजॉय : इस चक्रवाती तूफान का नाम बांग्लादेश ने रखा है. बांग्ला में, बिपरजॉय शब्द का अर्थ है 'आपदा'. नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी डिक्री के अनुसार किया गया था. कुछ मौजूदा दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चक्रवातों का नामकरण देशों द्वारा एक घूर्णी आधार पर किया जाता है.

कैसे रखा जाता है उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नाम? :सभी चक्रवातों का नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) और सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (ESCAP) पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन (PTC) के अनुसार रखा गया है. इसे अभ्यास चेतावनी संदेशों की त्वरित पहचान सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था. क्योंकि यह माना जाता है कि संख्या या किसी अन्य तकनीकी शब्दों की तुलना में नामों को याद रखना कहीं अधिक आसान है.

दुनिया भर में, छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (TCWCs) हैं जो सलाह जारी करने और उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामकरण के लिए हैं.

शुरुआत में उष्णकटिबंधीय तूफानों को मनमाने ढंग से नामित किया गया था, हालांकि, मौसम विज्ञानियों ने बाद में वर्णानुक्रम में व्यवस्थित सूची से नामों का उपयोग करके इन चक्रवातों की पहचान करने का निर्णय लिया.

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Last Updated : Jun 13, 2023, 5:09 PM IST

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