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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव से वापसी को तैयार साइक्लिंग बैलेट! - राजनीतिक दलों

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में बैलट पेपर से चुनाव होने जा रहा है. इसके कारण फिर से साइक्लिंग बैलेट का डर राजनीतिक दलों को सता रहा है. क्या है साइक्लिंग बैलेट, पढ़ें रिपोर्ट.

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साइक्लिंग बैलेट

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Published : Nov 24, 2020, 6:15 PM IST

ग्रेटर हैदराबाद में बैलेट पेपर से चुनाव पिछली बार वर्ष 2002 में आयोजित किया गया था. इसके बाद के चुनावों में ईवीएम का उपयोग किया गया. एक लंबे अंतराल के बाद शहर के मतदाता हाल में होने वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में फिर से बैलेट पेपर का उपयोग कर सकेंगे.

इस बार चुनाव में मतपत्र पर अपनी पसंद के उम्मीदवार के नाम पर रबर स्टैम्प का मुहर लगाकर मतदाता अपना वोट डाल सकेंगे. यह प्रक्रिया 1 दिसंबर 2020 को होने वाले चुनावों में होने जा रही है. इस संदर्भ में विभिन्न दलों के नेता चिंतित हैं कि कहीं इस चुनाव से साइक्लिंग बैलेट की वापसी न हो जाए.

विभिन्न दलों के नेताओं की चिंता यह है कि साइक्लिंग बैलेट से धांधली कर चुनाव के परिणाम को मनमाना बनाया जा सकता है. उल्लेखनीय है कि कई दलों ने हाल ही में चुनाव आयोग को इस चिंता से अवगत भी कराया है.

क्या है साइक्लिंग बैलेट?

वर्ष 2002 से पहले कई स्थानों पर चुनाव में धांधली होती थी. राजनीतिक दलों का मुख्य कार्यकर्ता एक मतदान केंद्र के पास सड़क पर बैठता था. पार्टी के अन्य कार्यकर्ता आसपास के क्षेत्रों से मतदाताओं को उसके पास भेजते और वह उन मतदाताओं को पहले से अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में मुहर लगा बैलेट पेपर दे देता.

इसके बाद उस मतदाता को गुप्त रूप से इस बैलेट पेपर को मतपेटी में रखने के लिए कहा जाता था तथा मतदान केंद्र पर रिटर्निंग अधिकारी द्वारा मतदाता को मिलने वाले मतपत्र को छिपाकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता को वापस करना होता था, जिससे दूसरे मतदाता से ऐसे ही मतदान कराया जा सके. इसके बदले में राजनीतिक दल के कार्यकर्ता उक्त मतदाता को रुपये का भुगतान करते थे. इस तरह से मतदाता और राजनीतिक दल दोनों को फायदा हो जाता था. धनबल से राजनीतिक दल पक्के वोट ले लेते थे और मतदाताओं को रुपये मिल जाते थे.

पूरी प्रक्रिया में शामिल इस चक्रीय अभ्यास के कारण इसे साइक्लिंग बैलेट कहा जाता है. अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की धांधली को रोकने के लिए चुनाव आयोग ईवीएम लाया. अतीत में मतपेटियों को उठाने, उन्हें कुओं में फेंकने और मतदान प्रक्रिया को शून्य करने के लिए मतपेटियों में स्याही डालने जैसी दुर्घटनाएं भी हुईं थीं.

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