शिमला : देवभूमि हिमाचल प्रदेश में साल दर साल साइबर क्राइम का जाल फैलता जा रहा है. ऐसे में अगर आप बैंक में पैसे रखकर सोचते हैं कि आपके पैसे सुरक्षित हैं, तो सावधान हो जाइये क्योंकि आपकी कमाई को बचाने की जिम्मेदारी बैंक से ज्यादा आपकी है. आपकी छोटी सी लापरवाही आपको पल भर में कंगाल कर सकती है. दरअसल साइबर ठग आपको ठगने के लिए हर पल तैयार बैठे रहते हैं. उन्हें बस आपकी एक छोटी सी गलती का इंतजार रहता है, क्योंकि आपकी मदद के बगैर साइबर ठग कुछ भी नहीं कर सकते.
कई बार हालात ऐसे होते हैं कि व्यक्ति समझ ही नहीं पाता कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है और जब साइबर फ्रॉड के जाल में फंस जाता है, तो उसके पास सिवाय अफसोस के कुछ समझ नहीं रह जाता है. आज हम एक ऐसे फ्रॉड के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. ये सिम क्लोनिंग या सिम स्वैपिंग हैं. आखिर ये क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
क्या है मोबाइल सिम स्वैपिंग?
किसी व्यक्ति के मोबाइल नंबर से दूसरा सिम लेने की प्रकिया को सिम-स्वैपिंग कहते हैं. ऐसा तब होता है, जब हमारी पुरानी सिम खराब हो जाती है और उसका मोबाइल नंबर सभी दस्तावेजों में दर्ज होता है. तब सिम ऑपरेटर से उसी नंबर पर दूसरी सिम जारी करने को कहते हैं. धोखाधड़ी करने वाले लुटेरे सोशल मीडिया या डार्क वेब जहां बहुत सस्ते में सूचनाएं उपलब्ध हैं वहां से लोगों का मोबाइल नंबर हासिल करते हैंं. इसके बाद साइबर हमला कर व्यक्ति का फोन बंद कर दिया जाता है.
जिसके बाद बैंक से जुड़े तमाम मैसेज, ओटीपी या अन्य जानकारी उस नए सिम पर पहुंचती है. सिम स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग के बाद पीड़ित का मोबाइल नंबर बंद हो जाता है, लेकिन शुरुआत में उसे लगता है कि नेटवर्क की दिक्कत है जो ठीक हो जाएगी, लेकिन जब तक उसे समझ आता है बहुत देर हो चुकी होती है.
साइबर ठगों का नया हथियार सिम स्वैपिंग/सिम क्लोनिंग
साइबर ठगों ने ठगी के नए-नए तरीके अपना लिए हैं, जिनमें से एक है इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ना. साइबर ठग अलग-अलग बैंकों के नाम से इंटरनेट पर फर्जी टोल फ्री नंबर छोड़ते हैं. किसी तरह की समस्या होने पर जब कोई इन नंबर पर फोन करता है तो साइबर ठग उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं.
साइबर ठग डेबिट कार्ड से लेकर बैंक खाते से जुड़ी कई जानकारियां मांगते हैं. कई बार ओटीपी और सीवीवी नंबर मांगा जाता है और कई बार साइबर ठग आपके बैंक खाते से लिंक्ड मोबाइल नंबर की जानकारी मांगते हैं. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इन साइबर ठगों को आपके मोबाइल नंबर की स्वैपिंग या सिम क्लोनिंग कर लेते हैं. जिसके बाद आपका नंबर बंद हो जाता है और बैंक खाते से जुड़े मैसेज आपको नहीं मिल पाते. जब तक आपको इसकी जानकारी लगती है साइबर ठग आपके खाते से आपकी मेहनत की कमाई ले उड़ जाते हैं.
सिम स्वैपिंग है साइबर ठगों का हथियार
इंटरनेट के जमाने में बैंक संबंधी हर सुविधा आपके मोबाइल पर उपलब्ध है. आजकल बैंक खातों का मोबाइल नंबर से लिंक होना आम बात है, लेकिन ये मोबाइल नंबर या सिम साइबर ठगों का नया हथियार है. आपकी थोड़ी सी लापरवाही इस सिम की बदौलत आपको कंगाल कर सकती है.