नई दिल्ली: सरकारी संस्थानों के साथ-साथ सीमा पार से विशेष रूप से चीन के सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर जासूसी और साइबर हमलों की खतरनाक घटनाओं के बाद, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस तरह की अदृश्य जासूसी को लेकर अलर्ट जारी किया है. जानकार सूत्रों ने संवाददाता को बताया कि रक्षा खुफिया एजेंसियों ने चीनी निर्मित मोबाइल फोन का उपयोग करने से बचने के लिए रक्षा संरचनाओं और इकाइयों को एक सलाह दी है. चीनी मूल के मोबाइल फोन में मैलवेयर और स्पाईवेयर पाए जाने के बाद एडवाइजरी जारी की गई थी.
गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में मौजूदा विधायक निनॉन्ग एरिंग ने पत्र के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सरकारी प्रतिष्ठानों में चीन निर्मित सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल बंद करने की अपील की थी. एरिंग ने संवाददाता से कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि चीनी खुफिया एजेंसियां मैलवेयर की मदद से सरकारी संस्थानों और भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों में घुसने की कोशिश कर सकती हैं.
उन्होंने कहा कि चीनी हैकर नियमित रूप से भारतीय संस्थानों को ढेर करते रहे हैं, जिसमें लद्दाख में एलएसी के पास सात प्रमुख बिजली लोड डिस्पैच केंद्रों को खतरे में डालने की नाकाम कोशिश भी शामिल है. एरिंग ने कहा कि अमेरिका स्थित एक साइबर सुरक्षा फर्म ने खुलासा किया है कि इंटरनेट प्रोटोकॉल कैमरे, अक्सर बंद सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) नेटवर्क में इस्तेमाल होते हैं और इंटरनेट संचालित डिजिटल वीडियो रिकॉर्डिंग उपकरणों को चीनी हैकर्स द्वारा ऑपरेशन में समझौता किया गया था.