सिरसा : हर व्यक्ति किसी न किसी चीज का शौकीन जरूर हाेता है. कोई खाने का शौकीन होता है, तो किसी को घूमने का. वहीं, कुछ लोगों को नाम कमाने का शौक होता है तो किसी को दौलत कमाने का. ऐसे ही एक शख्स के बारे में हम आज आपको बताने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय करेंसी को इकट्ठा करने का शौक है.
सिरसा के रहने वाले अजय धमीजा ने 1941 से लेकर नोट बंदी के बाद आई नई करेंसी तक अपने पास संजोकर रखी है. अजय धमीजा की सिरसा के गौशाला रोड पर धमीजा मोबाइल के नाम से एक मोबाइल की दुकान है.
अजय ने भारत के अलावा अन्य देशों की करेंसी भी अपने पास रखी हुई है. अजय ने ये सभी नोट और सिक्के अपनी दुकान में ही डिस्पले में लगा रखे हैं. जो हर आने-जाने वाले ग्राहकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुए हैं. जब इस विषय पर अजय से बात हुई तो उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों से मैं ये करेंसी एकत्रित कर रहा हूं.
उन्होंने कहा कि करेंसी एकत्रित करना मुझे बहुत पसंद है और धीरे-धीरे ये मेरा जुनून बन गया. अजय ने बताया कि वो 20 साल पहले पीसीओ चलाते थे. तब उन्होंने सबसे पहले 1 रुपये और 2 रुपये के नोट इकठ्ठे करने शुरू कर दिए. फिर धीरे-धीरे सिक्के और अन्य नोट इकट्ठे होने लग गए.
आजादी से पहले हमारे देश की करंसी कैसी थी अजय ने बताया कि फिर दुकान पर आने वाले ग्राहकों ने भी मेरा साथ दिया और अगर उनके पास पुरानी करेंसी होती तो वो मुझे लाकर दे देते थे. उन्होंने बताया कि पहले मैंने ये करेंसी मोबाइल काउंटर पर सजा रखी थी. फिर धीरे-धीरे जैसे करेंसी बढ़ती गई तो मैंने इसे अलग से दीवार पर डिस्प्ले कर दिया.
अजय ने बताया कि 2018 में उनकी दुकान पर चाईना से वीवी मोबाइल कंपनी के कुछ अधिकारी आए थे. तब उन्होंने देखा कि उनके देश की करेंसी भी मैंने डिस्प्ले में लगा रखी है जो की 100 साल पुरानी है. तो उन्होंने चीन की करेंसी का एक सिक्का मुझसे मांगा और बदले में मुझे 5, 20 और 1000 वाले चीन के तीन नोट दे दिए. तब उन अधिकारियों ने मेरी तारीफ करते हुए कहा कि हमें ये देखकर बेहद खुशी हुई की आपने अपने पास चाईना की पुरानी करेंसी भी संजोकर रखी हुई है.
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अजय ने कहा कि कई बार लोग हमारे पास इन पुरानी करेंसी को खरीदने के लिए भी आते हैं. लेकिन हम इन्हें बेचते नहीं क्योंकि ये करेंसी हमने व्यापार के लिए नहीं बल्कि आज की और आने वाली नई पीढ़ी को दिखाने के लिए रखी है. ताकि हम उन्हें दिखा सकें की हमारे देश की पुरानी करेंसी कभी इस तरह की हुआ करती थी.