पटना:आज बिहार दिवस (Bihar Diwas 2022) मनाया जा रहा है. 22 मार्च 1912 को ही बिहार अस्तित्व में आया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के दिशा-निर्देश पर इस बार भव्य अंदाज में तीन दिवसीय बिहार दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है. कोरोना संकट के चलते दो साल बिहार दिवस समारोह बाधित हुआ. सीएम शाम साढ़े पांच बजे गांधी मैदान में इस समारोह का उद्घाटन करेंगे. वहीं, 24 मार्च को राज्यपाल फागू चौहान (Governor Phagu Chauhan) समारोह का समापन करेंगे. पूरे देश में बिहार की लोकप्रियता का अपना एक अलग ही कारण है. यहां के खान-पान से लेकर शादी विवाह तक सभी में बिहारी संस्कृति की जो चमक झलकती है, वही इसे सबसे अलग और खास बनाती है.
लोक आस्था का महापर्व छठ:4 दिवसीय महापर्व छठ, बिहार का सबसे बड़ा पर्व है. सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व बिना किसी भेदभाव के मनाया जाता है. छठव्रती इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करते हैं. यह कुल चार दिनों तक चलता है. इस पर्व में छठव्रतियों को पवित्र स्नान, निर्जला उपवास रखने के साथ पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देना होता है.
मिथिलांचल में मधुश्रावणी पूजा: मिथिलांचल की परंपरा से जुड़ी मधुश्रावणी पूजा का अपना विशेष महत्व है. विवाह के बाद पहले सावन में इस पूजा को किया जाता है, जो 13 दिनों तक चलती है. पूजा शुरू होने से पहले दिन नाग-नागिन व उनके पांच बच्चे (बिसहारा) को मिट्टी से गढ़ा जाता है. साथ ही हल्दी से गौरी बनाने की परंपरा है. इस पूजा में 13 दिनों तक नवविवाहिताएं हर सुबह फूल और शाम में पत्ते तोड़ने जाती हैं. सुहागिनें फूल-पत्ते तोड़ते समय और कथा सुनते वक्त एक ही साड़ी हर दिन पहनती हैं. इसके साथ ही पूजा स्थल पर रंगोली भी बनाई जाती है. फिर नाग-नागिन, बिसहारा पर फूल-पत्ते चढ़ाकर पूजा शुरू होती है. इस पूजा के लिए नवविवाहिताओं के लिए उनके ससुराल से श्रृंगार पेटी दी जाती है जिसमें साड़ी, लहठी सिन्दूर, धान का लावा और जाही-जूही (फूल-पत्ती) होता है.