बिलासपुर : मुंबई की तीरा कामत की तरह ही बिलासपुर में 14 महीने की सृष्टि स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी बीमारी से जूझ रही है. सृष्टि के पिता मूलतः झारखंड के पलामू जिले के रहने वाले हैं. वे कोरबा जिले के दीपिका स्थित एसईसीएल में काम करते हैं. बेटी के इलाज के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपए की जरूरत है.
इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना पिता के लिए मुश्किल है. लेकिन क्राउडफंडिंग के जरिए इस परिवार की उम्मीद जगी है. अबतक 13 लाख 69 हजार से ज्यादा राशि की व्यवस्था हो चुकी है. 1682 से ज्यादा लोगों ने डोनेट किया है.
क्या है क्राउडफंडिंग
मुंबई की तीरा और बिलासपुर की सृष्टि समेत हमारे देश में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए क्राउडफंडिंग के कई मामले सामने आए हैं.
- क्राउडफंडिंग लोगों के सहयोग से पैसे जुटाने की नई प्रक्रिया है.
- हमारे देश में मंदिर निर्माण से लेकर छोटे-मोटे सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए चंदा लिया जाता रहा है.
- क्राउडफंडिंग चंदे का ही नया स्वरूप है.
- इसके लिए वेब आधारित प्लेटफॉर्म और सोशल नेटवर्किंग का सहारा लिया जाता है.
- इसके जरिए जरूरतमन्द अपने इलाज, शिक्षा, व्यापार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं.
- व्यक्तिगत जरूरतों के साथ ही तमाम सार्वजनिक योजनाओं, धार्मिक कार्यों और जनकल्याण उपक्रमों को पूरा करने के लिए भी लोग इसका सहारा ले रहे हैं.
- सोशल मीडिया के जरिए लोगों से सहयोग राशि देने की मांग की जाती है.
- बाकायदा एक अकाउंट नंबर भी जारी किया जाता है.
इस तरह इस अकाउंट में देश-दुनिया में रहने वाले कोई भी इंसान सहयोग राशि भेज सकते हैं. बिलासपुर की सृष्टि के इलाज के लिए भी एक एप की मदद से क्राउडफंडिंग की जा रही है.
क्राउडफंडिंग की जरूरत क्यों?
दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे लोगों के परिजन आर्थिक तंगी की वजह से इलाज नहीं करा पाते हैं. ऐसे लोगों के लिए क्राउडफंडिंग बहुत उपयोगी है. बिलासपुर की सृष्टि भी दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्राफी से ग्रसित है.