नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में कोविड से त्रस्त जनता के लिए यह खबर उन्हें और आगाह करने वाली है. दरअसल, दिल्ली में ऐसे कई अपराधी घूम रहे हैं, जिन्हें कायदे से जेल में होना था. दिल्ली में कोविड काल में बढ़ते अपराधों के पीछे ऐसे लोगों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अब तक इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. ऐसे लोगों की तादाद दस-बीस नहीं, बल्कि पूरे 3400 हैं, जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की पालन करवाने के लिए पैरोल और अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया था. कुल रिहा किए गए 6500 से ज्यादा कैदियों में से 3400 वापस लौट कर नहीं आए. इनमें से कई कैदी गंभीर अपराधों में संलिप्त हैं. ऐसे में दिल्ली पुलिस से लेकर तिहाड़ जेल प्रशासन तक के लिए यह मामला सिरदर्द बना हुआ है. इन कैदियों के जेल के बाहर रहने से तेजी से अपराध बढ़ने का अंदेशा बना हुआ है.
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता ने बताया कि साल 2020 में जब जेल के अंदर कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे, तो वहां कैदियों की संख्या क्षमता से डेढ़ गुना थी. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए तिहाड़ जेल से धीरे-धीरे लगभग 6500 कैदियों को पैरोल और अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया. इनमें से 1184 सजायाफ्ता कैदी को तिहाड़ जेल और दिल्ली सरकार द्वारा इमरजेंसी पैरोल पर छोड़ा गया था. वहीं 5556 विचाराधीन कैदियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक कमेटी द्वारा तय किए गए नियमों के आधार पर अंतरिम जमानत पर अदालत से छोड़ा गया था. बीते दिसंबर माह के बाद जब दिल्ली में कोविड संक्रमण के मामले कम होने लगे तो इन कैदियों को वापस सरेंडर करने के लिए कहा गया. लेकिन 50 फीसदी से ज्यादा कैदी ने अभी तक सरेंडर नहीं किया है.
आखिर कहां गए इतने कैदी
गुप्ता ने बताया कि तिहाड़ जेल से अंतरिम जमानत पर सभी तरह के कैदी छोड़े गए थे. इनमें छोटे अपराध से लेकर हत्या जैसे गंभीर अपराध के आरोपी भी शामिल थे. इन्हें 45 दिन की अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था. लेकिन हालात खराब होने के चलते इस अवधि को कई बार बढ़ाना पड़ा. उन्होंने बताया कि मीडिया के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली है कि बड़ी संख्या में कैदी वापस नहीं लौटे हैं. ऐसा हो सकता है कि इनमें से कुछ कैदी बरी हो गए हों या उन्होंने रेगुलर जमानत ले ली हो. कुछ कैदियों ने इस अवधि को बढ़वा लिया हो लेकिन इसकी जानकारी तिहाड़ प्रशासन को नहीं दी. इसके साथ ही यह भी संभावना है कि काफी कैदी इस मौके का फायदा उठाकर फरार हो गए हैं.
कैदियों वे बाहर होने से बढ़ेंगे अपराध, पकड़ना नहीं आसान
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि अभी जो 3400 से ज्यादा कैदी जेल नहीं गए हैं, इनमें से अधिकांश अपराध को अंजाम देंगे. जेल में सरेंडर नहीं करना बताता है कि वह दिल्ली की सड़कों पर अपराध करने के मकसद से फरार हुए हैं. इन कैदियों को जब 2020 में छोड़ा गया था तो उस समय भी चोरी, झपटमारी, लूट आदि वारदातों में उछाल आया था. अब इनके जेल नहीं जाने से एक बार फिर स्ट्रीट क्राइम बढ़ेगा. इसके साथ ही पुलिस के लिए इन्हें पकड़ना बड़ी चुनौती है. राजधानी में एक बार फिर कोरोना संक्रमण बेहद खतरनाक हो चुका है. हाल के दिनों में 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी संक्रमित हुए हैं. ऐसे में तीन हजार लापता कैदियों को तलाशना बेहद चुनौतीपूर्ण काम है.
तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने बताया कि पैरोल पर छोड़े गए अधिकांश सजायाफ्ता कैदी वापस लौट चुके हैं. जो विचाराधीन कैदी नहीं लौटे हैं उनमें से अधिकांश छोटे अपराध में आरोपी हैं. उन्हें अदालत से अंतरिम जमानत मिली थी. इनकी जानकारी दिल्ली पुलिस के साथ साझा की गई है. यह संभव है कि इन विचाराधीन कैदियों में से कुछ को रेगुलर जमानत मिल गई हो. इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की जा रही है.
कैसे मिलती है पैरोल
जेल में बंद कोई भी कैदी पैरोल के लिए जेल प्रशासन को आवेदन देता है. इस आवेदन के साथ उसका कारण बताना होता है. आमतौर पर किसी खुशी के मौके, मातम, इलाज आदि के लिए कैदी पैरोल मांगते हैं. उनके व्यवहार को ध्यान में रखते हुए जेल प्रशासन इसे दिल्ली सरकार को भेजता है, जहां से इसकी मंजूरी मिलती है. अगर सरकार इसे नामंजूर करती है तो कैदी को पैरोल नहीं मिलती है.
क्या होती है इमरजेंसी पैरोल
तिहाड़ जेल मैन्युअल में इमरजेंसी पैरोल का प्रावधान है. कोविड जैसी विशेष परिस्थितियों में सजायाफ्ता कैदी को इमरजेंसी पैरोल दी जाती है. इस इमरजेंसी पैरोल पर जेल से बाहर निकलने वाले कैदी की सजा में इन दिनों को भी जोड़ा जाता है. इमरजेंसी पैरोल की अवधि आमतौर पर अधिकत्तम 45 दिन होती है जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है.
पैरोल पर कितनों को मिली राहत कैसे मिलती है अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत पाने के लिए किसी भी कैदी को अदालत के समक्ष याचिका दायर करनी होती है. अधिवक्ता के माध्यम से विचाराधीन कैदी अदालत को बताता है कि उसे अंतरिम जमानत क्यों चाहिए. अभी के मामले में जो कैदी छोड़े गए, उन्होंने कोविड के चलते अंतरिम जमानत मांगी थी. उनकी बात सुनने के बाद अदालत यह निर्णय लेती है कि विचाराधीन कैदी को अंतरिम जमानत दी जाए या नहीं.
कैदियों के खिलाफ क्या होगा एक्शन
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ अफसर सुनील गुप्ता ने बताया कि लापता हुए कैदियों के बारे में तिहाड़ जेल दिल्ली पुलिस को सूचना देगी. दिल्ली पुलिस इन कैदियों की तलाश कर उन्हें गिरफ्तार करेगी. संबंधित अदालत के समक्ष उन्हें पेश किया जाएगा जहां से उन्हें दोबारा जेल भेजा जाएगा. जेल में भी इन कैदियों को सजा दी जा सकती है. उन्हें जेल से पैरोल देने का भविष्य में विरोध किया जाएगा.
उठते सवाल
मुद्दा यह नहीं है कि अपराध किस किस्म का था, मुद्दा यह है कि नियमों की पालना क्यों नहीं हो रही. दिल्ली में हो रहे अपराधों का आकंड़ा लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में तीन हजार से ज्यादा अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की लोकेशन पुलिस के पास न होना चिंता पैदा करने के लिए काफी है. कोविड से निपटने में मशगूल पुलिस प्रशासन इसे क्यों गंभीरता से नहीं ले रहा, समझ से परे है.