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ठेकेदार के अपहरण मामले में विधायक अमनमणि त्रिपाठी बरी

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Published : Sep 30, 2021, 9:33 PM IST

महराजगंज की नौतनवा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने अमनमणि त्रिपाठी को अपहरण के एक मामले में बरी कर दिया है. लेकिन, अमनमणि से जुड़े विवादों की फेहरिस्त काफी लम्बी है. ऐसे में वे कब तक सलाखों के पीछे जाने से बचेंगे ये एक बड़ा सवाल है.

अमनमणि त्रिपाठी
अमनमणि त्रिपाठी

लखनऊ : महराजगंज की नौतनवा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को गुरुवार के दिन लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने अमनमणि त्रिपाठी को गोरखपुर के ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय के अपहरण के मामले में बरी कर दिया है. इसके साथ ही अमनमणि त्रिपाठी का राजनीतिक भविष्य फिलहाल तो बच गया है. लेकिन, वो कब तक सलाखों के पीछे जाने से बच सकेंगे ये नहीं कहा जा सकता. क्योंकि अमनमणि से जुड़े विवादों की फेहरिस्त काफी लम्बी है.

इस मामले में हुए बरी

गोरखपुर के ठेकेदार ऋषि कुमार पांडेय ने 06 अगस्त 2014 को अमनमणि त्रिपाठी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर में अमनमणि व उसके दो साथियों संदीप त्रिपाठी व रवि शुक्ला पर अपहरण कर फिरौती मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था. विवेचना के बाद पुलिस ने इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 364, 386, 504 व 506 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

28 जुलाई, 2017 को अदालत ने अमनमणि समेत तीनों अभियुक्तों पर आरोप तय किया था. जिसके बाद अमनमणि त्रिपाठी ने इसी साल 26 मार्च को लखनऊ के एमपी-एमएलए कोर्ट के समक्ष अपहरण के मामले में आत्मसमर्पण किया था. इसके बाद विशेष जज पवन कुमार राय ने अमनमणि के खिलाफ जारी वारंट को निरस्त करते हुए उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी.

लखनऊ में जमीन कब्जा करने का आरोप

अमनमणि का नाम पहली बार 2014 में लखनऊ में एक जमीन कब्जा करने के मामले में सामने आया था. लखनऊ के रहने वाले एक व्यक्ति ने अमनमणि के ऊपर अपनी जमीन कब्जा करने का आरोप लगया था. पीड़त आयुष के मुताबिक उनके पास लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र के पपनामऊ इलाके में 22.5 बीघा जमीन थी. 2012 में उसने इसकी रजिस्ट्री करवाई थी, लेकिन इसके बाद उस पर पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनके बेटे अमनमणि ने कब्जा कर लिया.

आयुष के मुताबिक उसने दो बाद इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की. एक बार लखनऊ में और एक बार गोरखपुर में जनता दरबार के दौरान. को गोरखपुर जनता दरबार में मिलने पर सीएम ने लखनऊ एसएसपी को जांच के आदेश दिए थे, लेकिन एक महीने बाद भी केस में उचित कार्रवाई न होने पर वह फिर जब सीएम से मिलने पहुंचा तो उन्होंने उसे वहां से भगा दिया.

उधर इस मामले में लखनऊ के तत्कालीन डीएम डीएम कौशल राज ने बाद में बयान दिया कि मामला कोर्ट में है. जमीन के 8 सहखाताधारक हैं. जमीन पर बंटवारा होना है. आयुष की शिकायत पर मामले की जांच करवाई गई थी. डीएम कौशल राज ने यह भी बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट में आयुष सिंघल की तरफ से कोई पक्षकार पेश नहीं हुआ. डीएम डीएम कौशल राज के मुताबिक इस जमीन में सिंचाई विभाग का भी हिस्सा है.

अमनमणि पर पत्नी पर हत्या का आरोप

अमनमणि पर अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या का भी आरोप है. सारा की मौत की जांच सीबीआई ने की थी. इस मामले में सीबीआई कोर्ट में सुनवाई जारी है. बता दें कि अमनमणि त्रिपाठी 9 जुलाई 2015 को पत्नी सारा सिंह के साथ कार से लखनऊ से दिल्ली जा रहे थे. इस दौरान फिरोजाबाद में हाईवे पर उनकी कार कथित तौर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. इस हादसे में सारा सिंह की मौत हो गई, जबकि अमनमणि त्रिपाठी को खरोंच तक नहीं आई. इसके बाद सारा की मां सीमा सिंह ने इसे साजिश बताकर अमनमणि त्रिपाठी पर 18 जुलाई को हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. सीमा सिंह की मांग पर ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया और 14 अक्तूबर 2015 से इस मामले में जांच शुरू कर दी.

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2018 में वायरल हुआ ऑडियो

2018 में अमनमणि त्रिपाठी का एक कथित आडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह एक व्यक्ति गाली दे रहे थे. आरोप है कि अमनमणि उस व्यक्ति को गाली इसलिए दे रहे थे कि, वह व्यक्ति अपनी बीबी से उनकी बात नहीं करा रहा था.

2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान बिजनौर में हुए थे गिरफ्तार

बाहुबली विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके 6 साथियों को साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान 4 मई को बिजनौर में गिरफ्तार किया गया था. इन सभी लोगों लॉकडाउन के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. विधायक अमनमणि त्रिपाठी उत्तराखंड सरकार के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा जारी पास के आधार पर अपने साथियों के साथ बदरीनाथ जा रहे थे. लेकिन, उन्हें उत्तराखंड पुलिस टीम ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर वापस लौटा दिया था.

इस दौरान अमनमणि ने पुलिस और प्रशासन की टीम के साथ बदसलूकी भी की थी. इस बात की जानकारी जब बिजनौर पुलिस तो उसने नाकाबंदी कर विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उनके समर्थकों के साथियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने लॉकडाउन के उल्लघंन के आरोप में अमनमणि त्रिपाठी के साथ उनके 6 दोस्तों माया शंकर, रितेश यादव, संजय कुमार, ओमप्रकाश यादव, उमेश चौबे और मनीष कुमार के खिलाफ धारा 268, 269, 188 व महामारी अधिनियम सहित 51 बी आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 के तहत अभियोग पंजीकृत किया था. हालांकि बाद में इस मामले में अमनमणि त्रिपाठी और उनके साथियों को कोर्ट से जमानत मिल गई.

उत्तराखंड में अमनमणि पर दर्ज है केस

अमनमणि त्रिपाठी पर उत्तराखंड के चमोली में प्रशासनिक अधिकारियों से अभद्रता करने का भी आरोप लगा था. आपको बता दें कि कोरोना लॉकउन के दौरान अमनमणि त्रिपाठी अपने 10 साथियों के साथ बदरीनाथ जा रहे थे. लेकिन, उन्हें पुलिस टीम ने वापस लौटा दिया है. इस दौरान उन्होंने पुलिस और प्रशासन की टीम के साथ बदसलूकी की थी.

इस मामले में मामले में मुनि की रेती थाना क्षेत्र के व्यासी में अमनमणि त्रिपाठी सहित तमाम लोगों के खिलाफ लॉकडाउन का उल्लंघन करने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था. कुछ ही देर बाद थाने से सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया. इसके साथ ही अमनमणि त्रिपाठी पर श्रीनगर गढ़वाल में लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में भी दबंगई दिखाने का आरोप लगा था.

बताया जा रहा है कि उन्हें सिर्फ दो कमरे अलॉट किए गए थे. लेकिन, उन्होंने पूरे बंगले पर ही कब्जा जमा लिया था और पूरी रात वे अपने 10 दोस्तों के साथ शोर-शराबा करते रहे.

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