बाराबंकी : जिले में बैंक ऑफ इंडिया के बैंक मैनेजर, सहायक बैंक मैनेजर, कैशियर और एक अन्य ने मिलकर मुद्रा लोन के नाम पर करोड़ों रुपयों की धोखाधड़ी की. सैकड़ों भोले भाले लोगों के खाते खुलवाए. उन्हें कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा दिया. उनके आधार, पैन समेत अहम दस्तावेज हासिल कर लिए. इसके बाद मुद्रा लोन के लिए आवेदन कर दिया. लोन की सारी रकम आरोपी डकार गए. इस गोरखधंधे का खुलासा उस वक्त हुआ जब कुछ लोगों के घर बैंक लोन चुकाने का नोटिस पहुंचा, जबकि उन्होंने कोई लोन लिया ही नहीं था. पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने छानबीन शुरू की पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया. पुलिस ने रविवार को आरोपी बैंक मैनेजर और सहायक मैनेजर समेत 3 को गिरफ्तार कर लिया है.
जनवरी में पीड़ितों ने दर्ज कराया था मुकदमा :कुछ दिनों पहले तकरीबन 12 किसानों और दुकानदारों को जैदपुर थाना क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया की बरौली मलिक शाखा की ओर से मुद्रा लोन अदा करने की नोटिस मिलीं. नोटिस मिलते ही किसानों और दुकानदारों के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने लोन लिया ही नहीं था. पीड़ित खाताधारकों ने जब जानकारी की तो पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है. जालसाजों ने ऐसी तकनीक लगा रखी थी कि खातों से रुपये निकालने का पीड़ितों के पास मैसेज तक नहीं पहुंचा. पीड़ितों ने बैंक मैनेजर और स्टाफ के खिलाफ जनवरी महीने में अलग-अलग चार मुकदमे दर्ज कराए. पुलिस ने जब छानबीन शुरू की तो इस फ्राड की परतें खुलने लगीं.
गोमतीनगर का रहने वाला है मास्टर माइंड :इस पूरे गोरखधंधे का मास्टरमाइंड लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के वस्तुखण्ड का रहने वाला सुरेश मधु रावत पुत्र राम स्वरूप रावत है. लखनऊ के बैंक ऑफ इंडिया की निरालानगर शाखा के बैंककर्मी शैलेन्द्र प्रताप पंकज पुत्र रामपाल पंकज से उसकी दोस्ती थी. शैलेन्द्र भी लखनऊ के पीजीआई थाने के गाजीनगर तेलीबाग का रहने वाला है. शैलेन्द्र प्रताप की बाराबंकी के जैदपुर थाना क्षेत्र में स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा बरौली मलिक के मैनेजर अमन वर्मा से भी विभागीय होने के चलते दोस्ती थी. एक दिन शैलेन्द्र प्रताप ने सुरेश रावत की मुलाकात बैंक मैनेजर अमन वर्मा से कराई. बस यहीं से धोखाधड़ी की नींव पड़ गई.
इस तरह करते थे धोखाधड़ी :सुरेश रावत अपने साथियों के साथ मिलकर गांव-गांव जाकर कम पढ़े लिखे लोगों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी देता था. कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देता था. कहता था कि वेतन खाते में आएगा. सुरेश रावत कम पढ़े लिखे लोगों से सादे स्टाम्प, विदड्राल फार्म, आधार कार्ड, केवाईसी से सम्बंधित फार्म, लोन एप्लिकेशन फार्म और सादे कागजों पर बिना पूरी जानकारी दिए हस्ताक्षर करवा लेता था. उसके बाद बैंक मैनेजर अमन वर्मा और बैंक कर्मी सहायक मैनेजर शैलेन्द्र प्रताप से साठगांठ करके उनके खाते खुलवा लेता था. उनकी पासबुकें और एटीएम कार्ड अपने पास रख लेता था. उसके बाद बैंक मैनेजर, सहायक बैंक मैनेजर और सुरेश रावत मिलकर खाताधारकों के दस्तावेजों के आधार पर षडयंत्र व धोखाधड़ी कर मुद्रा लोन पास कराकर नेफ्ट और आरटीजीएस के जरिए लोन के पैसे सुरेश और सुरेश के खास साथियों के खातों में भेज देते थे.