मेरठ :'तेजाब ले लो, दाम केवल 20 रुपये लीटर'.जिले की गलियों में रेहड़ी वालों की ये आवाजें सुबह से लेकर शाम तक गूंजती रहती हैं. जैसे कपड़े समेत अन्य सामान फेरी लगाकर बेचे जाते हैं, वैसे ही यहां तेजाब की भी बिक्री की जाती है. रेहड़ी व ठेले पर कोल्डड्रिंक की खाली बोतलों में तेजाब भरकर रोजाना बेचने के लिए लोग निकलते हैं. सस्ती कीमत पर यहां मौत का सामान बेचा जा रहा है. अहम बात ये है कि न तो रेहड़ी वालों को कोई खौफ है, और न ही कानून का पालन कराने वाले अफसरों की ही इसकी फिक्र है. ईटीवी भारत की टीम जब शहर की गलियों में घूमी तो हैरान करने वाली जानकारियां सामने आईं.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे प्रतिबंध लगाने के आदेश :बता दें कि 2015 में एसिड अटैक पीड़ित लक्ष्मी केस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने खुले में तेजाब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे. 11 मई 2015, 13 जून 2016 और 07 अप्रैल 2017 को यूपी के सभी जिलाधिकारियों के साथ, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी एसिड की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में आदेश दिए गए थे. इसके बावजूद पूरे जिले में ठेलों पर इनकी बिक्री की जा रही है. ईटीवी भारत की टीम कई गलियों में घूमी, शायद ही कोई गली ऐसी रही हो, जहां तेजाब की खुले में बिक्री न होती हो. ठेलों और रेहड़ियों पर इनकी बिक्री की जा रही थी. कोल्ड ड्रिंक या पानी की खाली बोतलों में एसिड को भरा जाता है. इसके बाद 20 से 30 प्रति लीटर इनकी बिक्री भी की जाती है.
केन में भरकर बेची जा रही तेजाब :ईटीवी भारत से बातचीत में जीआईसी के नजदीक में रहने वाले युवा प्रशांत वर्मा ने बताया कि कोल्ड ड्रिक्स की खाली बोतलों, और बड़ी केन में भरकर खुले में तेजाब की बिक्री की जाती है. बेचने वालों को कानून का जरा भी भय नहीं है. अफसरों की इस लापरवाही का फायदा बदमाश उठा सकते हैं. मनोज शर्मा ने बताया कि एसिड बिक्री पर रोक लगी हुई है, लेकिन उसके बावजूद गली-मोहल्लों में दिन निकलते ही खुलेआम इनकी बिक्री की जाती है. जबकि तेजाब की बिक्री खुले में नहीं की जा सकती है. इनकी बिक्री नियम के अनुसार होती है. दुकानदार को खरीदार का पूरा रिकॉर्ड भी रखना पड़ता है. इसके अलावा तेजाब की बिक्री के लिए अग्निशमन विभाग की एनओसी भी लेना होती है. जीएसटी नंबर भी जरूरी होता है.