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सीसीटीएनएस से जुड़ेंगे देश के सभी पुलिस थाने, अपराध पर लगेगी लगाम

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Published : Dec 18, 2020, 7:53 PM IST

तकनीक में हो रहे विकास ने हमारे जीवन के हर आयाम पर प्रभाव डाला है. तकनीक ने जीवन को आसान तो बनाया है, लेकिन अपराधियों ने इसका गलत इस्तेमाल करने के भी तरीके ढूंढ लिए हैं. अपराध पर लगाम लगाने और अपराधी को माकूल सजा दिलाने के लिए पुलिस भी अब तकनीक का सहारा लेगी. आइए जानते हैं, कैसे...

crime criminal tracking network system
crime criminal tracking network system

हैदराबाद: भारत के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में 130 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं. विविधता से भरे भारत जैसे देश में सामाजिक शांति को स्थापित करने के लिए जुर्म को रोकने के साथ-साथ आपराधिक मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी जरूरी है.

अपराधियों के लिए कोई नियम कानून मायने नहीं रखते, लेकिन उनको पकड़ने वाली पुलिस अदृश्य नियमों से बंधी होती है. ऐसा माना जा रहा है कि क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा. यह पुलिस के इतिहास में बड़ा कदम होगा.

सीसीटीएनएस अपराध की जांच में क्रांति लाने का कार्य कर रहा है. इससे अपराध और उसको अंजाम देने वाले अपराधी की उंगलियों के निशानों का कहीं से भी पता लगाया जा सकता है. यह सिस्टम उंगलियों के निशानों को केंद्रीय डेटा पूल में मौजूद डेटा से मिलाकर अपराधी की पहचान कर सकता है.

देश के पुलिस थानों और मुख्यालयों को एक साथ जोड़ने का प्रस्ताव कई दशकों पहले रखा गया था. हालांकि जमीनी स्तर पर इस दिशा में बहुत धीरे कार्य किया गया. दो वर्ष पहले सीसीटीएनएस की मदद से देशभर के अपराधों और अपराधियों की जानकारी कुछ राज्य प्राप्त कर सकते थे.

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, देश के 95 प्रतिशत पुलिस थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ा गया है. 14,500 थाने सीसीटीएनएस में उनके क्षेत्र में हो रही आपराधिक घटनाओं और उनको अंजाम दे रहे अपराधियों की जानकारी केंद्रीय डेटा पूल में जोड़ रहे हैं. सीसीटीएनएस का मुख्य उद्देश्य तभी पूरा होगा जब यह अपराधियों को वारदात को अंजाम देने से रोकने में मदद करेगा.

त्वरित जांच और कड़ी सजा के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान आवश्यक है. इसीलिए तीन वर्ष पहले क्राइम एंड क्रिमिनल इनफॉर्मेशन सिस्टम (सीसीआईएस) लाया गया था. हालांकि यह कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस व जिला मुख्यालयों तक सीमित था. वहीं, सीसीटीएनएस और बड़े स्तर पर सूचना का आदान प्रदान करने में मदद करेगा.

5.6 लाख पुलिस कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण
गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, पुलिस स्टेशनों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है. इसके लिए 5.6 लाख पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है. हालांकि यह देशभर के हर राज्य में एक समान नहीं है, जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इसमें अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि कुछ राज्य जैसे बिहार इसमें पीछे हैं.

अपराधी भी वारदात को अंजाम देने में अत्याधूनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. साल 2019 में साइबर अपाधियों ने लोगों को 1.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाई थी. कोरोना वायरस से फैली महामारी के दौरान साइबर हमले और भी बढ़ गए थे.

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जो राज्य सीसीटीएनएस के डेटाबेस को अपडेट करने में पीछे हैं, वह अपराध की जांच करने में भी पीछे हो जाएंगे. अपराध पर रोकथाम और न्याय तभी मिल पाएगा, जब जानकारी का आदान-प्रदान होगा.

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