हैदराबाद: भारत के 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में 130 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं. विविधता से भरे भारत जैसे देश में सामाजिक शांति को स्थापित करने के लिए जुर्म को रोकने के साथ-साथ आपराधिक मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी जरूरी है.
अपराधियों के लिए कोई नियम कानून मायने नहीं रखते, लेकिन उनको पकड़ने वाली पुलिस अदृश्य नियमों से बंधी होती है. ऐसा माना जा रहा है कि क्राइम क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा. यह पुलिस के इतिहास में बड़ा कदम होगा.
सीसीटीएनएस अपराध की जांच में क्रांति लाने का कार्य कर रहा है. इससे अपराध और उसको अंजाम देने वाले अपराधी की उंगलियों के निशानों का कहीं से भी पता लगाया जा सकता है. यह सिस्टम उंगलियों के निशानों को केंद्रीय डेटा पूल में मौजूद डेटा से मिलाकर अपराधी की पहचान कर सकता है.
देश के पुलिस थानों और मुख्यालयों को एक साथ जोड़ने का प्रस्ताव कई दशकों पहले रखा गया था. हालांकि जमीनी स्तर पर इस दिशा में बहुत धीरे कार्य किया गया. दो वर्ष पहले सीसीटीएनएस की मदद से देशभर के अपराधों और अपराधियों की जानकारी कुछ राज्य प्राप्त कर सकते थे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, देश के 95 प्रतिशत पुलिस थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ा गया है. 14,500 थाने सीसीटीएनएस में उनके क्षेत्र में हो रही आपराधिक घटनाओं और उनको अंजाम दे रहे अपराधियों की जानकारी केंद्रीय डेटा पूल में जोड़ रहे हैं. सीसीटीएनएस का मुख्य उद्देश्य तभी पूरा होगा जब यह अपराधियों को वारदात को अंजाम देने से रोकने में मदद करेगा.