घर के भीतर भी सुरक्षित नहीं महिलाएं, 2021 में बढ़े महिला अपराध, जानें मुख्य वजह
वर्ष 2021 में दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही महिलाओं से जुड़े अन्य अपराध जैसे घरेलू हिंसा और दहेज हत्या में भी इजाफा देखा गया है.
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Published : Nov 13, 2021, 8:07 PM IST
नई दिल्ली :राजधानी में महिलाएं न केवल बाहर बल्कि घर के भीतर भी असुरक्षित हैं. अपराध के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में महिलाओं के प्रति होने वाले सभी अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है. हैरानी की बात यह है कि महिलाओं से घरेलू हिंसा एवं दहेज हत्या के मामलों में भी इस वर्ष इज़ाफा हुआ है. 2021 में घरेलू हिंसा 95 फीसदी बढ़ गई है. पुलिस द्वारा जारी अपराध के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा उठाए जा रहे कदम नाकाफी हैं.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस की प्राथमिकता महिला अपराधों को रोकना है. इसके लिए पुलिस द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए जा रहे हैं. लेकिन वर्ष 2021 में 31 अक्टूबर तक महिलाओं के खिलाफ होने वाले सभी अपराध बढ़ गए हैं. घर के बाहर एवं अंदर, दोनों ही जगह पर महिलाएं पहले से ज्यादा अपराध का शिकार हो रही हैं. दुष्कर्म, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा, दहेज हत्या आदि मामलों में इस वर्ष वृद्धि इस वर्ष दर्ज की गई है. महिला अपराध के आंकड़ों का इस तरह बढ़ना कहीं न कहीं पुलिस के लिए चिंता का विषय है.
घर के भीतर भी सुरक्षित नहीं महिलाएं
दिल्ली पुलिस के पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि बीते वर्ष महिलाएं घर से कम निकली थीं. इस वर्ष महिलाएं घर से ज्यादा निकली हैं. इसके चलते घर के बाहर महिलाएं अपराध का शिकार बीते वर्ष के मुकाबले ज्यादा हुई है. वहीं दूसरी तरफ घरेलू हिंसा के मामले भी दिल्ली में लगातार बढ़ रहे हैं. पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होते हैं क्योंकि लोगों के बीच सहनशीलता खत्म हो रही है. दोनों अगर दफ्तर में काम करते हैं तो वहां के दबाव की वजह से भी वह आपस में झगड़ते हैं. उन्होंने वकालत में देखा है कि पति-पत्नी एक दूसरे की बात को काटते हैं जो झगड़े का बड़ा कारण है.
उन्होंने बताया कि आर्थिक तंगी भी झगड़े का बड़ा कारण बन गया है. आजकल युवा दंपती अपना स्टैण्डर्ड ऊंचा करना चाहते हैं. लेकिन इसके अनुरूप उनकी आमदनी कम होती है. इसकी वजह से भी पति-पत्नी में झगड़े होते हैं. एलएन राव के अनुसार, ऐसे झगड़े संयुक्त परिवार में कम देखने को मिलते हैं. वहां परिवार के सदस्य दंपती को समझाते रहते हैं. अकेले रहने वाले दंपती में इस तरह के झगड़े ज्यादा देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि छेड़छाड़ के मामलों में आमतौर पर नशा करने वाले लोग लिप्त पाए जाते हैं. ऐसे बच्चों को परिवार द्वारा संस्कार दिए जाने की आवश्यकता है. स्कूल कॉलेज से बच्चों को काउंसलिंग दी जानी चाहिए ताकि वह ऐसे अपराध न करें.
पूर्व डीसीपी एलएन राव ने बताया कि महिला अपराध को रोकने में पुलिस की अहम भूमिका होती है. इसके लिए महिला संबंधित अपराध को दर्ज करना चाहिए. संवेदनशीलता से ऐसे मामलों में पुलिस को काम करना चाहिए. महिलाओं की सुनवाई होने लगेगी और अपराधियों को सजा मिलेगी तो इसमें कमी आएगी. उन्होंने बताया कि पुलिस अगर सही से कार्रवाई नहीं करती तो अपराधी के हौसले बढ़ते हैं. समाज और परिवार के लोगों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की कॉउंसलिंग करें. खासतौर से 16 से 25 की उम्र के लड़कों में अच्छे संस्कार डालें. इससे वह जब किसी महिला को बाहर देखेंगे तो उन्हें सम्मान की नजर से देखेंगे. एनजीओ को भी इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. उन्हें महिलाओं को भी जागरूक करने की आवश्यकता है. इससे निश्चित तौर पर महिला अपराधों में कमी आएगी.