आगरा:सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आज से नौ साल पहले आगरा को मुगल म्यूजियम की सौगात दी थी. यह ताजमहल से करीब एक किलोमीटर दूर शिल्पग्राम के पास 141 करोड़ रुपये के बजट से बनकर तैयार होना था. लेकिन, सन 2017 में यूपी से सपा सरकार की विदाई से सीएम योगी ने मुगल म्यूजियम का नाम बदल कर छतपति शिवाजी महाराज म्यूजियम कर दिया. इस पर खूब राजनीति गरमाई. विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा ने मंच से मुगल म्यूजियम का नाम बदलने पर खूब सुर्खियां और तालियां बटोरीं. भले ही म्यूजियम निर्माण का बजट 141 करोड़ रुपये से बढ़कर 171 करोड़ रुपये हो गया. लेकिन, तीन साल में एक भी ईंट म्यूजियम में नहीं लगी है. अब तो अधूरे पड़े म्यूजियम के स्ट्रक्चर पर भी सवाल उठ रहे हैं. स्ट्रक्चर के कई काॅलम में दरार आ गई है. कार्यदायी संस्थान रुड़की आईआईटी की टीम से स्ट्रक्चर की जांच करा चुकी है. अब आईआईटी कानुपर और आईआईटी वाराणसी से जांच कराई जाएगी.
बता दें कि जून 2016 में यूपी के तत्कालीन सीएम व सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आगरा को मुगल म्यूजियम की सौगात दी. ताजमहल के पूर्वी गेट से 1400 मीटर दूर शिल्पग्राम के पास म्यूजियम का शिलान्यास भी सपा मुखिया ने किया था. लेकिन, सन 2017 में सपा सरकार चली गई. इस पर पहले बजट के अभाव में म्यूजियम का काम अटका. फिर कोविड 19 के चलते मार्च 2020 में काम रुका. अभी तक 99 करोड़ रुपये में म्यूजियम का 75 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है.
आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू से जांच
यूपी पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्रा ने बताया कि सपा शासन काल के निर्माण कार्यों की आगरा कमिश्नर ने आईआईटी रुड़की से जांच कराई. इसमें कई लिंटर में दरार मिली. स्ट्रक्चर में कमियां मिलीं. इस पर कार्यदायी संस्थान ने रिपोर्ट संबधित विभाग से शेयर की. उच्च अधिकारियों को भी आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट से अवगत करया. अब कार्यदायी संस्था इसकी जांच आईआईटी कानपुर और आईआईटी बीएचयू (बनारस) से कराएगी. दोनों संस्थान की जांच रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी. आगरा मंडलायुक्त ने भी कार्यदायी संस्थान को जल्द कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. पहले म्यूजियम का बजट 141 करोड़ रुपये का था. अब इसकी अनुमानित लागत 171 करोड़ रुपये हो गई.
म्यूजियम में दिखेगा मराठा साम्राज्य