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संसद में जुमलाबाजी समेत कई शब्द अमर्यादित घोषित: वृंदा करात ने कहा- सत्यमेव की जगह असत्यमेव जयते का नारा सेट करना चाह रही भाजपा

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Published : Jul 14, 2022, 5:14 PM IST

जुमलाबाजी समेत कई शब्दों को संसद की कार्यवाही के लिए अमर्यादित घोषित किया गया है. इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि बीजेपी सत्यमेव जयते की जगह असत्यमेव जयते का नारा सेट करना चाह रही है. उन्होंने फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट से ग्रामसभा की ताकत छीनने की भी बात कही.

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सीपीएम नेता वृंदा करात

रांची:संसद की डिक्शनरी से कई शब्दों को अमर्यादित बताते हुए हटा दिया गया है. मसलन, अब सदन के भीतर जुमलाबाजी, दलाल, जयचंद, लॉलीपॉप, काला सत्र, चांडाल चौकड़ी, तानाशाही, भ्रष्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा. सीपीएम की पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते थे कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा. लेकिन अब उन्होंने भ्रष्ट शब्द ही हटवा दिया है.

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वृंदा करात ने कहा कि जुमलागिरी शब्द को भी हटवा दिया जिसका इस्तेमाल पीएम मोदी के निक नेम के रूप में होता था. वृंदा करात ने कहा कि सच वाले शब्दों को हटाना बिल्कुल गलत है. यह पार्टियामेंट्री प्रीवलेज के ऊपर हमला है. उन्होंने कहा कि अगर संसद के भीतर एक सांसद सच वाले शब्दों का इस्तेमाल नहीं करेगा तो क्या करेगा. उन्होंने कहा कि अब सत्यमेव जयते की जगह असत्यमेव जयते का नारा सेट करना चाह रही है भाजपा. उन्होंने धार्मिक भावना को आहत करने के मामले में दिल्ली में गिरफ्तार पत्रकार मो. जुबैर को भी अविलंब रिहा करने की मांग की.

सीपीएम नेता वृंदा करात

वृंदा करात ने कहा कि केंद्र सरकार ने फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट में बड़े बदलाव की तैयारी की है. एक्ट की नियमावली में ग्रामसभा और आदिवासियों के संवैधानिक कानूनी अधिकार के धारा को हटाने की तैयारी की है. उस कानून के मुताबिक बिना ग्रामसभा स्वीकृति के वन क्षेत्र में भी प्रोजेक्ट डालने का रास्ता खोल दिया है. यह पांचवें शिल्यूल और पेसा कानून का उल्लंघन है. ऊपर से लैंड बैंक बनाने की तैयारी की गई है. अब फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट को कॉर्पोरेट कॉनजर्वेशन एक्ट बनाया जा रहा है. यह आदिासियों के ऊपर हमला बोला है.

वृंदा करात ने कहा कि जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस बदलाव पर आपत्ति जतायी थी फिर भी उसे अनसुना कर दिया गया. उन्होंने कहा कि दुख की बात यह है कि अर्जुन मुंडा चुप हैं. वृंदा करात ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि झारखंड के सीएम इस नियमावली के खिलाफ आवाज उठाएंगे. केंद्र की इस मंशा से साफ है कि जिस द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एनडीए खुद का आदिवासी हितैषी साबित करना चाह रही है, उसकी कथनी और करनी में कितना फर्क है.

वृंदा करात ने कहा कि श्रीलंका में जो हालात हैं उसपर अभी टिप्पणी करना सही नहीं रहेगा. हालाकि उन्होंने कहा कि वहां आर्थिक परेशानी आई है. वहां असमानता के कारण यह सब हो रहा है. हिन्दुस्तान को भी इससे सबक लेने की जरूरत है.

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