नई दिल्ली :दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण स्तर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल सरकार को फटकार लगाए जाने और पर्याप्त इंतजाम के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को भी कहा गया. इस पर केंद्र सरकार की तरफ से यह कहा गया कि दिल्ली के प्रदूषण में केवल 10 प्रतिशत हिस्सा ही पराली जलाने के कारण है. बाकी प्रदूषण धूल, उद्योग,वाहन व अन्य कारणों से है. किसान संगठन पहले ही इस बात को दोहराते रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में आज केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए जवाब से किसान नेताओं द्वारा कही गई बात सच साबित हो गई है.
बता दें कि किसान संगठन लगातार इस बात पर आपत्ति जताते रहे हैं कि प्रदूषण की अन्य प्रमुख वजहों पर चर्चा को छोड़ कर हर साल सिर्फ पराली जलाने को ही सबसे बड़ा मुद्दा बता दिया जाता है और इसके बहाने किसानों को बदनाम करने की साजिश होती है. सोमवार को भी दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में पराली जलाने का मुद्दा सबसे प्रमुख था लेकिन केंद्र सरकार ने इसका खंडन किया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार की खिंचाई कर दी थी.
इसी मामले पर अखिल भरतीय किसान सभा (CPI) के राष्ट्रीय महासचिव अतुल अंजान ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि प्रदूषण का ठीकरा अब केवल किसानों पर नहीं फोड़ा जाएगा. उन्होंने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को घेरते हुए कहा कि पहले दिल्ली सरकार द्वारा चलाए गए विज्ञापन में कहा जा रहा था कि उन्होंने भरतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के साथ मिलकर एक ऐसा कीटनाशक तैयार कर लिया है जो न केवल पराली को खेतों में ही गला देता है बल्कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाता है. यदि यह प्रमाणिक नहीं है तो तुरंत केजरीवाल सरकार के उस विज्ञापन पर रोक लगा देनी चाहिए.
हालांकि प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी को किसान नेता भी पूरी तरह नहीं नकारते. अतुल अंजान ने कहा कि यदि पराली के कारण प्रदूषण हो रहा है तो जो सरकारें हजारों करोड़ प्रदूषण नियन्त्रण पर खर्च कर रही हैं और पराली प्रबंधन संबंधित रिसर्च पर भी करोड़ों खर्चे जा रहे हैं. ऐसे में यदि कुछ करोड़ का बजट किसानों के बीच खर्च किया जाए और उन्हें अनुदान दिया जाए तो वह पराली प्रबंधन में निश्चित रूप से सरकार का सहयोग करेंगे.