नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस दिया है, जिनमें एक पत्रकार और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं. इस पर सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार को किसान की मांग को मान लेना चाहिए और तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. ऐसा करने के बजाय सरकार सोच रही है कि लोगों को एनआईए की नोटिस जारी करके, राष्ट्र-विरोधी और आतंकवादी कहकर किसान आंदोलन को दबा सकती है और इस आंदोलन की छवि को परिवर्तित कर सकती है.
ईटीवी भारत ने सीपीआई के महासचिव डी राजा से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने एनआईए द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है. उन्होंने एनआईए की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया है. उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा भेजी जा रही नोटिस का यह समय सही नहीं है. अगर एनआईए के पास इस तरह के इनपुट थे, तो इतने वर्षों से क्या कर रही थी.
राजा ने कहा कि लोग अब सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. मोदी सरकार सभी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए कर रही है. इतना ही नहीं जो कोई सरकार पर सवाल उठा रहा है, उसके खिलाफ भी सरकार इन एजेंसियों का उपयोग कर रही है.
राजा ने कहा कि यह मोदी सरकार पूरी तरह से घमंडी है और उसने कॉरपोरेट्स, बड़े कारोबारी घरानों के हितों की रक्षा के लिए कमेटी बनाई है. इसीलिए वह किसानों को कम आंक रही है.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार बातचीत करने में पूरी तरह से ईमानदार नहीं है. राजा ने कहा कि आगे की वार्ता के लिए बातचीत नहीं हो सकती. इस मामले को सरकार को समझना चाहिए और किसानों की समस्याओं पर गौर करना चाहिए.