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Published : Aug 5, 2023, 6:02 AM IST

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Watch Video: ये है Oxygen Gaushala.. यहां भजन सुनकर झूम उठती हैं गायें

बिहार के पटना में एक ऐसा गौशाला है, जहां गायों की सेवा में दिन रात गो सेवक लगे रहते हैं. हैरानी की बात यह है कि सभी को सुबह शाम भगवान के भजन सुनाए जाते हैं. गौमाता भी भजन सुन झूम उठती हैं. इतना ही नहीं भजन सुनने के बाद गायें अधिक दूध भी देती हैं.

Oxygen Gaushala Etv Bharat
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देखें रिपोर्ट.

पटना:अगर मन में चाह हो तो इंसान के लिए कोई भी काम आसान हो जाता है. ऐसा ही कुछ पटना के रहने वाले विनोद सिंह ने कर दिखाया है. देश में विलुप्त हो रही देसी नस्ल की गाय और उनके बछड़े को बचाने के लिए उन्होंने मुहिम छेड़ी है और गौसेवा भाव से देसी गाय पालन और उनके बछड़ों को बचाने का संकल्प लिया है.

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पटना के इस गौशाला में भजन सुनती हैं गायें: इस गौशाला का नाम ऑक्सीजन गौशाला है, जहां गाय माता की पूजा और सेवा की जाती है. साथ ही दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाता है. विनोद सिंह की गौशाला की खासियत है कि यहां रहने वाली नंदी सहित लगभग 500 देसी गाय और उनके बछड़े को उनके नाम से पुकारा जाता है. उन्हें सुबह शाम भगवान की भजन भी सुनायी जाती है. इस गौशाला में लहसुन और प्याज नहीं लाया जा सकता क्योंकि यह वर्जित है. गौशाला के मालिक दूध व्यवसाय के लिए नहीं बल्कि गौ सेवा की भावना से इस कार्य को करते हैं.

पटना के इस गौशाला में भजन सुनती हैं गाय

देसी नस्ल की गायों और बछड़ों को बचाने की मुहिम: राजधानी पटना से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित बिहटा प्रखंड के विष्णुपुरा गांव स्थित ऑक्सीजन गौशालामें विनोद सिंह के द्वारा गोपालन किया गया है. यह गो पालन सेवा के भाव से किया गया है. इस गौशाला में विलुप्त हो रही देसी गिर नस्ल की गाय का पालन कर रहे हैं और उनके द्वारा दिए गए बछड़ों के बचाने की मुहिम छेड़ी है.

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दूध अधिक देती हैंवहीं गौशाला में गौमाता के सेवा में लगे सेवक छोटू कुमार का कहना है कि गौ माता को सुबह शाम भजन सुनाई जाती है. गौ माता भजन पर झूम उठती हैं और दूध भी अधिक देती हैं. इस रास्ते से गुजरने वाले लोग भी गौशाला के गेट के बाहर खड़ा होकर हाथ जोड़कर इन्हें प्रणाम करते हैं.

"ऑक्सीजन गौशाला में लहसुन प्याज पर भी प्रतिबंध है. गौ माता को प्रसाद के रूप में हर दिन फल और गुड़ का भोग भी लगाया जाता है." -छोटू कुमार, गो सेवक

सभी गायों के हैं नाम

'नहीं बेचा जाता दूध':वहीं गौशाला के मालिक विनोद सिंह बताते है कि हमने गाय पालन को व्यवसाय के तौर पर नहीं किया. हम इसे सेवा के भाव से करते हैं. इस गौशाला में करीब 500 के आसपास गिर नस्ल की गाय और उनके बछड़े हैं. सभी को अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. वहीं गायों को सुबह शाम भक्ति गाना सुनाया जाता है. आगे विनोद सिंह बताते है कि यहां से दूध, दही, घी की बिक्री नहीं होती है.

"बैलों को पुराने समय की तरह ही कोल्हू से तेल निकालने में उपयोग करते हैं. गौमाता से प्राप्त उत्पाद जैसे दूध, घी, तेल को पैसों के लिए नहीं बेचा जाता है बल्कि जो लोग गो पालन में सेवा भाव से सदस्य बने हैं, उन्हीं को दूध दही और कोल्हू से निकाला गया तेल उपलब्ध कराया जाता है."- विनोद सिंह, गौशाला के मालिक

कोल्हू से तेल निकालने के काम आता है बैल

गौशाला के मालिक विनोद सिंह आगे बताते हैं कि 20 से 25 साल पहले सभी के दरवाजे पर देसी गाय हुआ करती थी. कहा जाता था कि गौ माता धरती पर भगवान का रूप है. उन्होंने कहा कि मां के दूध के बाद गौ माता के दूध को अमृत माना जाता है. मेरा मानना है कि बिहार में हर घर में लोग देसी गाय को पाले और उनके बछड़े को बचाने की मुहिम छेड़े. बहरहाल गौशाला मालिक विनोद सिंह के द्वारा विलुप्त हो रही देसी गाय और उनके बछड़ों को बचाने की मुहिम काबिले तारीफ है.

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