भीलवाड़ा. कहते हैं कि द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी बजाते थे तो गायें उनके आसपास आकर खड़ी हो जाया करती थीं. ठीक वैसा ही अब कलियुग में भी देखने को मिल रहा है. राजस्थान के भीलवाड़ा में पशुपालक सूरतराम जाट गायों को दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन और उनके भजन सुनाते हैं. सूरतराम जाट ने बताया कि गाय ध्यान लगाकर भगवान श्रीकृष्ण के भजन सुनती है. ईटीवी भारत की टीम शाहपुरा पंचायत समिति के कनेछन खुर्द के सूरज राम जाट के पशुपालक घर पहुंची और इसे देखा. साथ ही गायों के पालन के बारे में जानने की कोशिश की. इस दौरान पशुपालक सूरतराम जाट से हमने खास बातचीत की. चलिए जानते हैं उन्होंने गाय पालने से लेकर, भजन तक क्या कुछ कहा.
पशुपालक सूरतराम जाट ने कॉरपोरेट जगत में काम करने के साथ देसी गिर नस्ल की गाय पालने का काम शुरू किया. उन्होंने गाय का दूध बेचने के बजाय दूध से घी बनाकर ऑनलाइन 4500 रुपए प्रति लीटर घी बेचकर लाखों रुपए महीना कमा रहे हैं. वह देसी गिर नस्ल की गाय को भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी की धुन के साथ भजन सुनाते हैं. यहां पर गायों को रहने की व्यवस्था जिस तरह परिवार में लोगों को रहने की जाती है उसी प्रकार उनके (गायों) लिए की गई है. गाय पालन स्थल पर भगवत गीता, भगवान श्रीकृष्ण और रामायण से जुड़े उपदेश हर दीवार पर लिखे हुए है. वहीं, गायों को आधुनिक सुविधा युक्त खाने-पीने की व्यवस्था करते हुए हवा के लिए पंखे लगाए गए है. प्रत्येक 10 फीट पर स्पीकर लगाए हुए हैं जिस पर दिन-रात भगवान श्रीकृष्ण के भजन चलते रहते हैं. सबसे अहम बात ये है कि छोटे-बड़े पशु के लिए अलग-अलग ठहरने की व्यवस्था की गई है.
पशुओं को खिलाया जाता है बिना खाद का चारा : सूरतराम जाट ने पशुपालन में काफी नवाचार किए हैं. यहां तक की अपने खलियान में जब खरीफ की फसल के समय पशुओं को खिलाने की ज्वार की बुआई करते हैं तो उसमें किसी प्रकार का अंग्रेजी खाद (डीएपी और यूरीया) नहीं डालते. पशुपालक सिर्फ देसी गाय के खाद का ही उपयोग कर फसल की बुवाई करते हैं. यहां तक की पशुओं को खिलाने वाला अनाज (बांटा) घर पर ही मक्की, बाजरा, ज्वार , जौ और गुड का मिश्रण कर बनाता है. पशुपालक ने बताया कि हमारे यहा ब्रिड संवर्धन भी है जिसके पीछे मेरा मुख्य उद्देश्य देसी गायों को बचाना. इसके लिए मैं ब्रिड संवर्धन का काम भी करता हूं, मैं दावा करता हूं कि आने वाले समय में गायों का केंद्रीकरण हो जाएगा. आम आदमी वर्तमान में देसी नस्ल की गाय नहीं पालते हैं उनको आवारा छोड़ देते हैं.