नई दिल्ली :आईएमए ने कहा कि देश में सभी को टीका मिलना चाहिए. वैक्सीन को हर आयु वर्ग के लोगों के लिए खुले तौर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए. चाहे वह सार्वजनिक या निजी क्षेत्र के माध्यम से हो. आईएमए प्रेसीडेंट डॉ. जेए जयलाल ने कहा कि हर वर्ग तक वैक्सीन की पहुंच समय की मांग है.
सभी को टीका लगाने की आईएमए की मांग के पीछे तर्क यह है कि निर्धारित आयु मानदंड के लोगों के बीच झिझक के कारण टीका का अपव्यय हुआ है. डॉ. जयलाल ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि टीका का अपव्यय क्यों होता है. प्रत्येक टीके की शीशी 10 खुराक की होती है. शीशी खोलने के बाद आपको 10 लोगों को टीका लगाना होगा. 45 वर्ष से कम आयु के लोगों को आप टीका नहीं लगा सकते हैं. भले ही टीका बच जाए या खराब हो जाए. दरअसल, वैक्सीन की प्रत्येक शीशी खुलने के बाद 3-4 घंटे में समाप्त हो जानी चाहिए.
सरकार ने दिया यह तर्क
डॉ. जयलाल ने कहा कि उम्र का मापदंड हटाने पर अपव्यय प्रतिशत में भारी कमी आएगी. जैसे कि सरकार द्वारा आयु की पाबंदी 65 से घटाकर 45 तक ढील से अपव्यय का प्रतिशत कम हुआ है. हालांकि, सभी लोगों को टीका लगाने की ऐसी मांगों को केंद्र सरकार ने यह कहकर खारिज कर दिया है कि जरूरतमंद लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
6.5 प्रतिशत टीका हो रहा बर्बाद
आंकड़ों के अनुसार वैक्सीन बर्बाद होने का राष्ट्रीय औसत 6.5 प्रतिशत है. यह तेलंगाना में (17.6 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (11.6), उत्तर प्रदेश (9.4), कर्नाटक (6.9) और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों ने 6.6 प्रतिशत वैक्सीन का अपव्यय दर्ज किया है. दरअसल, लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में टीका अपव्यय बताया जा रहा है.
टीका बर्बाद होने का कारण
टीके के अपव्यय को दो अलग-अलग श्रेणियों (अप्रयुक्त शीशियों और खुली शीशियों) में विभाजित किया जा सकता है. भारत में ज्यादातर वैक्सीन अपव्यय समय पर लाभार्थियों की कमी के बाद खोली गई शीशियों के कारण होती है. अप्रयुक्त शीशियों के माध्यम से टीके की बर्बादी मुख्य रूप से समाप्ति की तारीख, गर्मी के संपर्क में आने, वैक्सीन के जम जाने के कारण होती है. टीकाकरण केंद्रों के फ्रीजर में तापमान 2-8 डिग्री सेल्सियस पर दो भारतीय वैक्सीन COVAXIN और COVISHIELD के लिए उपयुक्त बनाया गया है.
ऐसे दूर की जा सकती है कमी
डॉ. जयलाल ने कहा कि जमे हुए टीकों की घटनाओं की कुछ स्थानों से रिपोर्ट भी आ रही है. असम के कछार जिले के सिलचर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SMCH) में सब-जीरो तापमान पर COVISHIELD की लगभग 100 शीशियां जमी हुई पाई गईं. डॉ. जयलाल का मानना है कि यदि हम बर्बादी को रोक दें, तो भारत में वैक्सीन की कथित कमी को संभाला जा सकता है.