नई दिल्ली :भले ही स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में कोविड-19 महामारी में निरंतर गिरावट की प्रवृत्ति दिख रही है, लेकिन वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों में देश में वायरस के प्रसार पर मतभेद हैं.
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट और इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के निदेशक डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि महामारी अपने अंतिम चरण में है. डॉ. अग्रवाल ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम केवल ओमीक्रोन द्वारा संचालित तीसरी लहर अपने टर्मिनल चरण में कर सकते हैं. इस समय कोई नया वैरिएंट नहीं है.'
हालांकि, भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की और कहा कि कोरोना वायरस अभी भी पूरे भारत में कई जगहों है. एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले ने कहा, 'यह सच है कि भारत में कोविड-19 के मामलों की संख्या घट रही है. हालांकि, यह सोचना गलत होगा कि वायरस हमसे बहुत दूर चला गया है. हमें हर स्तर पर कोविड के उचित व्यवहार को बनाए रखने की जरूरत है.'
दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को कहा था कि भारत में कोविड-19 महामारी में लगातार गिरावट का रुख दिख रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में कहा है, 'भारत में कोविड-19 महामारी में 21 जनवरी से निरंतर गिरावट की प्रवृत्ति दिख रही है इसलिए ये बेहतर होगा कि वे अतिरिक्त प्रतिबंधों की समीक्षा करें और इनमें बदलाव करें या फिर इन्हें हटा दें.' हालांकि, डॉ. कोले ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की टीकाकरण प्रक्रिया में और तेजी लाने की जरूरत है.
एहतियाती खुराक पर ये दी राय
डॉ. कोले ने कहा, 'सरकार को एहतियाती खुराक के लाभार्थियों के लिए पात्रता मानदंड में भी ढील देनी चाहिए. 40-60 के बीच के लोगों को भी एहतियाती खुराक की जरूरत है.' अब तक, सरकार ने 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों फ्रंट लाइन वर्कर के लिए एहतियाती खुराक को मंजूरी दी है. एहतियाती खुराक 39 सप्ताह या नौ महीने के अंतराल के बाद दी जाती है.