नई दिल्ली : यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ से समर्थित संयुक्त निगरानी कार्यक्रम 2020 के अनुसार 30 प्रतिशत से अधिक भारतीयों के पास घर पर पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है. लगभग आधे स्कूलों में भी इसी तरह की कमी है.
यूनिसेफ के मुताबिक ' हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण लाभ विशेष रूप से पिछले दो वर्षों में हुआ है. कोविड 19 से मुकाबला करने के लिए सरकार के नेतृत्व में जो प्रयास शुरू हुए उसके बाद इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. हालांकि बड़ी आबादी, विविधता को देखते हुए इसके लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है. देश में बड़े निवेश की जरूरत है.'
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए, राष्ट्रीय जल मिशन के अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक, जी अशोक कुमार ने कहा कि भारत ने वास्तव में हाथ की स्वच्छता और हाथ धोने की पहुंच में जबरदस्त सफलता हासिल की है.
कुमार ने कहा, 'यह एक फैक्ट है कि हाथ धोने की पहुंच और अभ्यास के बारे में लोगों की जागरूकता कोविड-19 महामारी के कारण काफी बढ़ गई है.' कुमार ने कहा कि जब से देश में महामारी शुरू हुई है, तब से सरकार ने भी कई जागरूकता पहलों को अपनाया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हर घर में पानी उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए हैं.
भारत सरकार ने अगस्त 2019 से राज्यों के साथ साझेदारी में जल जीवन मिशन (JJM) की शुरुआत की है. 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है. इस पर करीब 3.60 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें केंद्र की ओर से 2.08 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने दो प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों, स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के तहत जल स्वच्छता और स्वच्छता (WASH) क्षेत्र में भारी निवेश किया है.