हैदराबाद :वैज्ञानिकों ने पहले की भविष्यवाणी की तुलना में बहुत तेजी से सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 टीके विकसित किए हैं. इस आश्चर्यजनक वैज्ञानिक और तार्किक उपलब्धि में अरबों लोगों के जीवन को बदलने और बचाने बदलने की शक्ति है. लेकिन यह प्रगति व्यर्थ होगी यदि हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि उन्हें हर जगह जल्दी से उपलब्ध कराया जाए.
यह आसान नहीं है और इसके लिए तात्कालिकता, राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रौद्योगिकी, धन और निर्माण, लॉजिस्टिक और प्रशासनिक क्षमता के एक मजबूत संयोजन की आवश्यकता है. हालांकि यह संभव है लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है.
दुनिया के हर देश के 70 प्रतिशत हिस्से को कवर करने के लिए इस साल पर्याप्त कोविड-19 टीकों का उत्पादन किया जाएगा. हालांकि इसमें से अधिकांश आरक्षित है. 83 फीसदी से ज्यादा टीके अमीर देशों में गए हैं. गरीब देशों को सिर्फ 0.2 प्रतिशत ही मिला है. इस गति से कई निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 2024-2025 तक व्यापक कवरेज नहीं हो सकेगा.
लैटिन अमेरिका में केवल चिली ही अपनी पूरी आबादी को कवर करने के लिए पर्याप्त खरीद कर पाया है. अमीर देश न केवल टीके ले रहे हैं बल्कि वे उनकी जमाखोरी भी कर रहे हैं. एक ऐसा कदम जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने विनाशकारी नैतिक विफलता कहा है.
हर किसी का टीकाकरण करने में विफलता महामारी को दूर नहीं कर पाएगा. इससे बड़े पैमाने पर सामाजिक, स्वास्थ्य और आर्थिक लागतों के साथ और नए संभावित वैक्सीन-प्रतिरोधी वेरिएंट को पनपने की अनुमति देगा, जिससे सभी को वापस खतरा हो जाएगा. उत्परिवर्तन पहली पीढ़ी के टीकों को एक वर्ष से भी कम समय में अप्रभावी बना सकता है.
COVAX की स्थापना