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Published : Jun 4, 2023, 9:09 PM IST

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MP: बिना कोविड वैक्सिनेशन पासपोर्ट धारकों को जारी हुए हजारों फर्जी सर्टिफिकेट, सकते में स्वास्थ्य विभाग

एमपी के भिंड जिले से फर्जी टीकाकरण सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है. खास बात यह है कि ये ज्यादातर सर्टिफिकेट विदेश जानें वालों लिए जारी हुए हैं और जहां से सर्टिफिकेट जारी हुए हैं वहीं 6 महीनों से कोविड की वैक्सीन ही नहीं है.

Covid vaccination certificate forgery in mp
मप्र में कोविड टीकाकरण प्रमाण पत्र की जालसाजी

मप्र में कोविड टीकाकरण प्रमाण पत्र की जालसाजी

भिंड।तीन साल पहले जब कोरोना ने पूरे विश्व में कोहराम मचाया तो तमाम देशों ने कोरोना वैक्सीन बनाने का प्रयास किया और कुछ देश इसमें सफल हुए. सावधानी के तौर पर आज भी जब आप विदेश की यात्रा करेंगे तो इसके पहले आपका वैक्सिनेशन होना अनिवार्यता है क्योंकि बिना वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट देश के बाहर हवाई यात्रा की इजाजत नहीं है. हालांकि भारत में आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है. कई बार वैक्सीन को लेकर घोटाले भी सामने आये हैं लेकिन हद तो तब हो गई जब मध्यप्रदेश में एक दो नहीं बल्कि करीब 3 हजार फर्जी वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट जारी हुए हैं वह भी एक छोटे से जिले के सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से.

जी हां बात चौकाने वाली है लेकिन सच है. ये घोटाला एमपी के भिंड जिले में सामने आया है जहां से बाहरी राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, और पंजाब जैसे राज्यों के पासपोर्ट धारकों को वैक्सीन लगायी गई है या कहें उन्हें सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, वह भी दो खास समुदाय के लोगों को. ये मामला तब और गम्भीर हो जाता है जब पता चले के जिले में तो कोविड वैक्सीन बीते कई महीनों से उपलब्ध ही नहीं है. मामले की पड़ताल करने पर पता चला कि ऐसे करीब 3 हजार सर्टिफिकेट 15 दिनों में जारी हुए हैं. मामला सामने आने के बाद से ही भिंड से भोपाल तक स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है.

फर्जी सर्टिफिकेट

वैक्सीन नहीं फिर भी लगे टीके: बताया जा रहा है कि बीते 6 महीनों से भिंड जिले में कोविड वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है, फिर भी सरकारी पोर्टल CO-WIN पर प्रमाण पत्र जनरेट हुए हैं, ये सर्टिफिकेट भिंड जिले के मेहगांव ब्लॉक के सोनी उप स्वास्थ्य केंद्र से बीते 15 दिनों में जारी हुए हैं. ऐसे करीब 3000 से ज्यादा लोगों के वैक्सीनेशन के फर्जी प्रमाण पत्र CO-WIN पोर्टल पर सेशन ऐक्टिव कर जारी किए गए हैं. जिन लोगों को ये प्रमाण पत्र दिए गए है वे ज्यादातर लोग पासपोर्ट धारक है और जिन्हें देश से बाहर जाने के लिए वीजा के साथ जरूरत पड़ती है. माना जा रहा है कि इन दिनों हज यात्री हज के लिए रवाना हो रहे हैं साथ ही बहुत से लोग सिख समुदाय से हैं. इनमें कोविड प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले ज्यादातर लोग या तो देश से बाहर जा चुके हैं या देश से बाहर जाने वाले है.

भिंड में जारी हुए फर्जी टीकाकरण सर्टिफिकेट

सीएमओ ऑफिस पहुंचे हितग्राही से हुआ खुलासा:कोविड प्रमाण पत्र के इस घोटाले के सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट पर हैं, इस संबंध में भोपाल से जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इस मामले में जानकारी मांगी गई है, इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब 30 मई को अचानक एक लाभार्थी कोविड वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट लेने खुद सीएमएचओ कार्यालय पहुंचा. यहां जब वीसीसीएम अजय कुमार ने अपने एडमिन आईडी से लॉगिन किया तो पता चला कि उप स्वास्थ्य केंद्र सोनी से वैक्सीनेशन सेशन बनाकर बना कर फर्जी प्रमाण पत्र जेनरेट कर दिए गए हैं. मामला सामने आने के बाद सोनी उप स्वास्थ्य केंद्र की आईडी तो तुरंत बंद कर दिया गया है. हैरानी की बात इस लिए थी क्योंकि जब जिला कलेक्टर के सामने ये आईडी बंद की गई उसके बाद भी प्रमाण पत्र जारी हो रहे थे, जिसके बाद सोनी उप स्वास्थ्य केंद्र की आईडी को डीएक्टिवेट कर दिया गया है.

वैक्सीन नहीं लगवाई, एजेंट ने उपलब्ध कराए सर्टिफिकेट:इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने टीकाकरण के प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले लोगों से फोन पर सम्पर्क किया तो उन लोगों का कहना था कि उन्हें इस संबंध में जानकारी ही नहीं कि कोविड- वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट कहां से जारी हुए. उन्होंने बताया कि उन्हें ये सर्टिफिकेट उनके एजेंट द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं, अब पूरे मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग के सभी आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. वहीं सोनी उप स्वास्थ्य केंद्र पर मौजूद सीएचओ रिंकू शर्मा का कहना है, उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है क्यूंकि उनकी पदस्थापना कुछ ही समय पहले हुई है. प्रमाण पत्र और लॉगइन आईडी जारी करने का काम जिला स्तर का है उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

कलेक्टर बोले- मामले की करा रहे जांच:इस पूरे मामले और घोटाले को लेकर भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस के निर्देश पर मामले को भिंड साइबर सेल को सौंपा गया है. भिंड कलेक्टर ने इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं टेक्निकल लूपहोल्स का लाभ उठाते हुए स्केम की बात स्वीकार की है. कलेक्टर का कहना है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जा रही है यदि इस घोटाले में स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. हालांकि सूत्रों की माने तो दूसरे राज्यों के लोगों के फर्जी प्रमाणपत्र दिल्ली के एक आईपी ऐड्रेस से स्वास्थ्य विभाग की आईडी को हैक या लॉगिन कर किए गए हैं.

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