नई दिल्ली : दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलों में फिर से वृद्धि के बीच भारत के विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च टीकाकरण कवरेज और संक्रमण के बाद बनी प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए देश में भविष्य में किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव होने की आशंका नहीं है. कुछ विशेषज्ञों ने तो यहां तक कहा कि सरकार को मास्क पहनने में ढील देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि रोजाना सामने आने वाले संक्रमण के नए मामलों और मौतों की संख्या में कुछ समय से लगातार कमी दर्ज की जा रही है.
भारत में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1,761 नए मामले सामने आए, जो लगभग 688 दिनों में सबसे कम मामले रहे. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वरिष्ठ महामारी विज्ञानी डॉ संजय राय ने कहा कि सार्स-सीओवी-2 एक 'आरएनए' वायरस है और इसके स्वरूप में बदलाव होना तय है. उन्होंने कहा कि पहले से ही 1,000 से अधिक बदलाव हो चुके हैं, हालांकि, केवल ऐसे पांच स्वरूप सामने आए हैं, जो चिंता का कारण बने हैं.
राय ने कहा, 'भारत ने पिछले साल कोविड-19 की बहुत ही विनाशकारी दूसरी लहर का सामना किया जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा. हालांकि, वर्तमान में हमारी प्रमुख ताकत प्राकृतिक संक्रमण है जो लंबी अवधि के लिए बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है. इसके अलावा, उच्च टीकाकरण कवरेज है. इसलिए, भविष्य की किसी भी लहर का गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'यह ऐसा समय है, जब भारत सरकार अनिवार्य रूप से मास्क पहनने से ढील देने पर विचार कर सकती है.' उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और संक्रमण की चपेट में आने के उच्च जोखिम वाले लोगों को एहतियात के तौर पर मास्क पहनना जारी रखना चाहिए. महामारी विज्ञानी ने जोर देकर कहा कि भविष्य में वायरस के किसी भी नए स्वरूप के उभरने की निगरानी के लिए सरकार को जीनोमिक अनुक्रमण सहित सार्स-सीओवी-2 की निगरानी जारी रखनी चाहिए.