हैदराबाद : कृष्ण कुमार पूर्व में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के निदेशक के रूप में कार्य किया है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा के प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है. कृष्ण कुमार ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को बंद हुए स्कूलों को फिर से खोलने और बाहर निकले बच्चों को फिर से पढ़ने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए.
दूसरी लहर का असर शिक्षा पर कैसे पड़ेगा?
लाखों प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की शैक्षिक स्थिति पर कोई अध्ययन नहीं किया गया है जो अपने मूल स्थानों पर वापस चले गए हैं. मेट्रो शहरों में भी बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. हालांकि पहली लहर के बाद मजदूर वापस शहरों में तो चले गए लेकिन वे अपने बच्चों को साथ नहीं ले गए हैं. देश भर के लाखों निजी स्कूल बंद हो गए. उन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की स्थिति कोई नहीं जानता.
केंद्र-राज्य सरकारों को प्रभाव को कम करने के लिए क्या करना चाहिए था? अभी वे क्या उपाय कर सकते हैं?
छात्रों पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में एक व्यापक सर्वेक्षण पहले आयोजित किया जाना चाहिए. विश्वसनीय आंकड़े एकत्र किए जाने चाहिए. सटीक क्षेत्र-स्तरीय डाटा के बिना सामूहिक योजनाएं नहीं बनाई जा सकतीं. पिछले एक साल में मध्याह्न भोजन योजना कैसे प्रभावित हुई है, इसका स्कूल के बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ा है, इसका विश्लेषण अवश्य किया जाना चाहिए. यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि निजी स्कूलों के बंद होने के बाद छात्र कहां हैं. उनमें से कुछ सरकारी स्कूलों में शामिल हो गए होंगे लेकिन हमें संख्याओं को जानना चाहिए.
इसके बाद ही हम राज्य संचालित स्कूलों में अतिरिक्त स्थान और शिक्षण सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि बड़ी संख्या में बच्चे विशेषकर ग्रामीण गरीब और प्रवासी कामगारों की लड़कियां स्कूल से बाहर होकर बाल मजदूर बन गई हैं. यदि हम डाटा एकत्र करें तो उन्हें वापस स्कूल में लाने के लिए योजना तैयार कर सकते हैं.
सीबीएसई और राज्य बोर्डों ने परीक्षाओं को रद्द या स्थगित कर दिया है. इसके परिणाम क्या होंगे?
10वीं की परीक्षा रद होना और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं का स्थगित होना वाजिब है. वास्तव में 12 वीं कक्षा के छात्रों के पास पिछले साल केवल ऑनलाइन कक्षाएं थीं. तो परीक्षा भी ऑनलाइन आयोजित की जा सकती है. यह कोई असंभव भी नहीं है. जिन बच्चों को जरूरत है, उनके लिए अस्थाई आधार पर डिजिटल उपकरण लगाए जा सकते हैं. वर्तमान में कई विश्वविद्यालय 1 वर्ष के छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित कर रहे हैं.
अमीर और गरीब के बीच की खाई शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है. इस अंतर को कैसे पाटा जाए?